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वैज्ञानिक लगातार यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैज्ञानिक लगातार यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं कि किसी अप्रिय घटना से आहत लोग अक्सर ताकोत्सुबो सिंड्रोम (ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम) का शिकार क्यों हो जाते हैं। जबकि वही घटना अन्य लोगों पर वैसा असर नहीं करती। ब्रिटेन में हुए एक हालिया अध्ययन में दो मालक्यूल (अणुओं) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इन अणुओं का बढ़ा हुआ स्तर इस सिंड्रोम की संभावना को बढ़ाता है।
बता दें कि ताकोत्सुबो सिंड्रोम या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण कुछ-कुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं। इसमें सीने में दर्द और सांस की तकलीफ भी शामिल हैं। यह कई तरह की जटिलताओं का कारण बन सकता है। ब्रिटेन में करीब 2,500 लोग हर साल इस स्थिति से प्रभावित होते हैं।
खासतौर से रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं पर अधिक असर होता है। कुछ मामलों में स्थिति काफी गंभीर हो जाती है और लोग मौत के मुंह तक में चले जाते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि लंबे समय तक तनाव झेलना और फिर अचानक तनावपूर्ण घटना जैसे कि शोक की स्थिति, किसी प्रियजन को खोना आदि इंसान को और भी संवेदनशील बना सकते हैं। यह इस सिंड्रोम की वजह बनता है।
माइक्रोआरएनए 16 और 26 ए अणु हैं कारण
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम अक्सर किसी ऐसी दुखद घटना के बाद होता है, जो इंसान को अंदर से तोड़ देती है। जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, कोई लाइलाज बीमारी, लंबे समय तक चिकित्सा, धन की क्षति, रिश्ता टूटना आदि। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (बीएचएफ) द्वारा कराए गए नए अध्ययन में पाया गया है कि तनाव के स्तर में वृद्धि से जुड़े दो अणु इस सिंड्रोम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों ने पाया कि माइक्रोआरएनए-16 और 26 ए अणु के बढ़े हुए स्तर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की संभावना को बढ़ाते हैं। यह दोनों ही छोटे अणु नियंत्रित करते हैं कि जीन को कैसे डिकोड किया जाता है।
चूहे व इंसानों पर अध्ययन हुआ
प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं ने इंसान और चूहों की हृदय कोशिकाओं की जांच की और पाया कि दो अणुओं के संपर्क में आने के बाद उन्होंने एड्रेनालाईन पर कैसे प्रतिक्रिया दी। जब शोधकर्ताओं ने उन हृदय कोशिकाओं को देखा जिनका इलाज माइक्रोआरएनए के साथ किया गया तो पाया कि कोशिकाएं एड्रेनालाईन के प्रति अधिक संवेदनशील थीं और संकुचन के नुकसान को विकसित करने की अधिक संभावना थी। इसलिए ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से जुड़े बदलाव एड्रेनालाईन के निचले स्तर पर देखे गए। माइक्रोआरएनए-16 और 26ए अवसाद, चिंता और बढ़े हुए तनाव के स्तर से जुड़े हुए हैं। इससे यह पता चलता है कि किसी अप्रिय घटना के बाद लंबे समय तक तनाव रहने के बाद ब्रोकन हार्ट हृदय सिंड्रोम जैसे प्रभाव हो सकते हैं।
ब्लड टेस्ट से पता चलेगा
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि निष्कर्षों के आधार पर भविष्य में ब्लड टेस्ट या दवाएं विकसित की जा सकती हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन में कार्डियक फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर सियान हार्डिंग का कहना है कि ताकोत्सुबो सिंड्रोम एक गंभीर स्थिति है। मगर यह कैसे होता है अब तक यह एक रहस्य बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हम नहीं समझ पाते कि अचानक घटी किसी बुरी घटना पर कुछ लोगों को भावनात्मक शॉक आखिर क्यों लगता है, जबकि अन्य के साथ ऐसा नहीं होता। मगर यह अध्ययन पुष्टि करता है कि पहले का तनाव और इसके साथ जुड़े माइक्रोआरएनए, भविष्य के तनाव की स्थितियों में किसी व्यक्ति को ताकोत्सुबो सिंड्रोम का शिकार बना सकते हैं।
और अधिक अध्ययन की जरूरत
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन में एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर मेटिन अवकिरन के मुताबिक 'ताकोत्सुबो सिंड्रोम एक गंभीर हृदय समस्या है, लेकिन इसके कारणों के बारे में हमारी जानकारी सीमित है। इस रहस्यमई बीमारी को समझने में यह अध्ययन न सिर्फ मदद करेगा, बल्कि इसकी पहचान और उपचार के लिए नए रास्ते भी खोलेगा। सिंड्रोम के जोखिम वाले मरीजों के लिए यह अध्ययन काफी मददगार साबित हो सकता है। फिलहाल इस सिंड्रोम के हमले को रोकने के लिए कोई उपचार नहीं है। माइक्रोआरएनए को अवरुद्ध करने वाली दवाएं ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से बचने के लिए कारगर हो सकती हैं। मगर इसके लिए अधिक शोध की जरूरत है। यह अध्ययन कार्डियोवास्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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