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वैज्ञानिकों ने आविष्कार की नई तकनीक, अब कम खाद में भी होगा गेहूं का बंपर उत्पादन

Gulabi
14 Sep 2021 6:12 AM GMT
वैज्ञानिकों ने आविष्कार की नई तकनीक, अब कम खाद में भी होगा गेहूं का बंपर उत्पादन
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अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने गेहूं की एक ऐसी तकनीकी इजाद की है

अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने गेहूं की एक ऐसी तकनीकी इजाद की है जिससे जहां उत्पादन में बढ़ोतरी होगी तो वहीं उससे प्रदूषण भी कम होगा. गेहूं की खेती को नाइट्रोजन प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है जो इंसान और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाता है. इस नई किस्म में खाद के रूप में नाइट्रोजन का उपयोग कम होगा.

नाइट्रिफिकेशन अवरोध (बीएनआई) आधारित ये तकनीकी गेहूं के खेतों में नाइट्रोजन पोषक तत्वों की मात्रा को संतुलिक करता है और उत्पादन को बढ़ा सकता है. जहां की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी है, वहां भी अच्छी पैदावार होगी. दुनियाभर में गेहूं की फसलों में सबसे ज्यादा खेती गेहूं की ही होती है और इसकी खपत भी सबसे ज्यादा है.
कैसे इजाद हुई ये तकनीकी
वैज्ञानिकों ने पहली बार बारहमासी घास की प्रजातियों पर इसका प्रयोग जो सफल रहा. तब बीएनआई क्षमता से जुड़े गुणसूत्र की खोज की गई. इसके बाद क्रॉसिंग तकनीकी की मदद से इसे गेहूं की फसल के लिए तैयार किया गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की ये अनूठी किस्म क्रॉस-ब्रीड है. इसने नाइट्रोजन के उपयोग को बहुत कम कर दिया है. सबसे खास तो यह कि इससे प्रयोग से गेहूं की पौष्टिकता और गुणवत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
ये हैं गेहूं की पांच सबसे अच्छी किस्म
जब ज्यादा पैदावार गेहूं की किस्मों के बारे में बात हो रही है तो भारत में इन किस्मों को सबसे अच्छा माना जाता है.
करण नरेन्द्र (Karan Narendra)- ये गेहूं की नवीनतम किस्मों में से एक है. ये किस्म 143 दिनों में काटने लायक हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 65.1 से 82.1 क्विंटल तक पैदावार होती है.
करन वंदना (Karan Vandana- इस किस्म की सबसे खास बात ये होती है कि इसमें पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियां लगने की संभावना बहुत कम होती है. फसल लगभग 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर लगभग 75 क्विंटल गेहूं पैदा होता है.
पूसा यशस्वी (Pusa yashasvi)- यह फफूंदी और गलन रोग प्रतिरोधक होती है. प्रति हेक्टेयर 57.5 से 79. 60 क्विंटल तक पैदावार होती है.
करण श्रिया (Karan Shriya- लगभग 127 दिनों में पकने वाली किस्म को मात्र एक सिंचाई की जरूरत पड़ती है. प्रति हेक्टेयर अधिकतम पैदावार 55 क्विंटल है.
डीडीडब्ल्यू 47 (DDW47- गेहूं की इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा (12.69%) होती है. इसके पौधे कई तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं. कीट और रोगों से खुद की सुरक्षा करने में सक्षम. प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 74 क्विंटल.
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