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वैज्ञानिकों ने इजाद की गन्ने की कई किस्म
अगले कुछ दिनों में किसान गन्ने की बुवाई शुरू कर देंगे. अभी इसकी तैयारी कर रहे हैं. दूसरी कई फसलों की तरह नकदी फसल कही जाने वाली गन्ना को भी रोगों से जूझना पड़ता है. लेकिन अगर किसान सही किस्मों का चुनाव करें तो भारी नुकसान से बच सकते हैं.
देश के वैज्ञानिकों ने गन्ने की कई ऐसी किस्म इजाद की है जो ज्यादा उपज तो देती ही है, साथ विपरीत मौसम और रोगों से लड़ने में भी सक्षम होती है. ऐसे में किसान बुवाई के समय इन उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं.
गन्ने की उन्नत किस्म
किस्म को. 0238
Co 0238 (करन 4) एक उच्च उपजशील और उच्च शर्करा मात्रा वाली किस्म है जिसे Co LK 8102 x Co 775 के क्रॉस से उत्पन्न किया गया है. इस किस्म का विकास गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, करनाल में किया गया और उसे वर्ष 2009 के दौरान फसल मानकों, अधिसूचना और किस्मों को जारी करने वाली केन्द्रीय उपसमिति द्वारा हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और राजस्थान राज्यों को शामिल करते हुए उत्तर – पश्चिमी जोन में व्यावसायिक खेती के लिए एक अगेती किस्म के रूप में जारी किया गया.
अवधि: 12-14 महीने
उपज: 81 टन प्रति हेक्टेयर
विशेषता: गुड़ हल्के पीले रंग के साथ ए-1 गुणवत्ता वाला है. यह किस्म लाल सड़न रोगजनक की प्रचलित नस्ल की संतुलित प्रतिरोधी है. यह किस्म कहीं तेज गति से खेत में फैलती है और इसलिए किसानों और चीनी उद्योग दोनों द्वारा इसे पसंद किया जाता है.
किस्म : को. 86032
अवधि (माह) : 12-14
उपज (टन/हे.): 110-120
शक्कर (प्रतिशत में) : 22-24
प्रमुख विशेषताए : उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, कम गिरना, जडी गन्ने के लिए उपयुक्त, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी।
किस्म : को. 7318
अवधि (माह) : 12-14
उपज (टन/हे.): 120-130
शक्कर (प्रतिशत में) : 18-20
प्रमुख विशेषताए : अधिक शक्कर, रोगों का प्रकोप कम, पपड़ी कीटरोधी।
किस्म : को.जे.एन.86-600
अवधि (माह): 12-14
उपज (टन/हे.): 110-130
शक्कर (प्रतिशत में): 22-23
प्रमुख विशेषताए : उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी.
को.से 13452
यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. 86 से 95 टन प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होगी. इसमें व्यावसायिक शर्करा उपज 12.08 पाया गया है.
को.से 13235
वैज्ञानिकों का मानना है कि को.से 13235 किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. क्योंकि बाकी गन्नों की तुलना में यह शीघ्र पकने वाला गन्ना है. इसकी उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर है. इसके व्यावसायिक शर्करा की बात की जाए इसमें 11.55 पाया गया है. इसकी फसल 10 माह में पक कर तैयार हो जाती है.
को.से 10239
यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. जल भराव की स्थिति में इसकी पैदावार 63 से 79 टन प्रति हेक्टेयर होती है. ऊसर या बंजर जमीन पर इसकी पैदावार 61 से 70 टन पाई गई है. यही नहीं, खास बात यह है कि इन तीनों ही किस्मों में कीट और रोगों के प्रकोप शून्य है.
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