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वैज्ञानिकों ने बना ली नई तकनीक, इस पतंग को उड़ाने से पैदा होगी जबरदस्त बिजली

Apurva Srivastav
14 Jun 2021 1:53 PM GMT
वैज्ञानिकों ने बना ली नई तकनीक, इस पतंग को उड़ाने से पैदा होगी जबरदस्त बिजली
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पतंग उड़ाना भी एक तरह की कला है

पतंग उड़ाना भी एक तरह की कला है. जेनरली लोग इसे शौकिया तौर पर उड़ाते हैं. गुजरात में होनेवाली पतंग प्रतियोगिता देखने दुनियाभर से लोग आते हैं. 2 रुपये से लेकर हजारों और लाख रुपये तक के भी पतंग लोग उड़ाते हैं. शौक से पतंग उड़ाना अलग बात है, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि पतंग उड़ाकर बिजली भी पैदा की जा सकती है?

जानकर आश्चर्य हो सकता है कि लेकिन जर्मनी में वैज्ञानिक इस दिशा में कई सालों से काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक, यह भविष्य में संभावित उर्जा संकट का समाधान हो सकती है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एनरकाइट (Enerkite) नाम की वाइंड एनर्जी कंपनी ने वर्ष 2012 में फैब्रिक काइट के साथ एक्सपेरिमेंट शुरू किया था और अब कार्बन फाइबर से बने पतंगो पर काम कर रही है. ये पतंग हवा की ताकत से बिजली बनाती है.
जर्मन वेबसाइट डॉयचे वेले की एक वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, एनरकाइट (Enerkite) के सीईओ अलेक्जेंडर बोरबन कहते हैं कि हमारा नजरिया पतंग के जरिये ऐसी तकनीक का विकास करना है और उसे उस स्तर तक ले जाना है, जहां आज के टरबाइन की बराबरी की जा सके. आज के टरबाइन की बराबरी की जा सके. हम छोटी शुरुआत कर रहे हैं और रास्ता अभी लंबा है.
हवा जितनी तेज होगी, पतंग उतनी ऊपर जाएगी
एक टेलिस्कोपिक आर्म पतंग और ट्रक को जोड़ती है. तारों वाले ड्रम ट्रक के अंदर ही है और ट्रक में ही​ बिजली पैदा करने वाला जेनरेटर है. फिलहाल पवन चक्की के जरिये बिजली पैदा करनेवाली तकनीक में टरबाइनें जमीन से जुड़ी होती हैं, लेकिन इस तकनीक में पतंग को जमीन से 300 मीटर ऊपर हवा में उड़ाने की तैयारी है, जो तारों के जरिये जमीन से जुड़ी होंगी. हवा जितनी तेज होंगी, पतंग उतनी ऊपर जाएगी.
कैसे पैदा होती है बिजली?
इस पतंग को बर्लिन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी में डेवलप किया गया है. इंजीनियरों ने 2012 में फैब्रिक काइट के साथ एक्सपेरिमेंट शुरू किया. जब पतंग ऊपर जाती है तो तार में ढील देने के कारण वे जेनरेटर वाले ड्रम को घुमाते हैं और इसी से बिजली पैदा होती है. इसके बाद फिर से पतंग को नीचे खींचा जाता है, जिसमें बहुत कम बिजली लगती है. और कुछ देर बाद पतंग फिर से ऊपर चली जाती है… पतंग लगातार ऐसे ही ऊपर-नीचे होती है, यह क्रम चलता रहता है और इस दौरान काफी बिजली बनती है.
हर हफ्ते टेस्टिंग करते हैं इंजीनियर्स
पतंग और उससे जुड़ी तकनीक बनाने वाले इंजीनियर्स लगातार इसे रीडिजाइन कर रहे हैं. इंजीनियर्स बताते हैं कि वर्ष 2017 से कार्बन फाइबर की काइट्स पर काम चल रहा है. हफ्ते में एक बार इंजीनियर्स और डेवलपर्स इसकी टेस्टिंग के लिए एयर फील्ड में जाते हैं. आमतौर पर ऐसे टेस्ट आधी रात को होते हैं, क्योंकि इस समय हवा समान रूप से बहती है.
भविष्य में कामयाबी मिलने की उम्मीद
इस तकनीक से जुड़े डेवलपर्स बताते हैं कि पतंग को पूरी तरह ऑटोमैटेड बनाने की जरूरत है, लेकिन कामयाबी अभी दूर नजर आ रही है. डेवलपर्स को इसके लिए सेफ और सटीक प्रोग्रामिंग करनी है, ताकि तारों के सहारे पतंग जबरदस्त उड़ान भरे. पतंग के गोते संभालना भी एक बड़ी चुनौती है. रिपोर्ट्स के मुताकिब, पतंग 30 मीटर ऊपर तक उड़ान भरने में कामयाब हो चुकी है और वैज्ञानिक उम्मीद जता रहे हैं आनेवाले 2 साल में पवन चक्कियों के ऊपर उड़ते हुए बिजली बनाने में कामयाब होगी.


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