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केनरा बैंक (Canara Bank) का ज्वाइंट वेंचर है. रूस में ऐक्टिव यह भारतीय ओरिजिन का एक मात्र बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia-Ukraine War) जारी है. इसी के साथ कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. ऐसे में भारत ने भी फिलहाल रूस में कारोबार रोक दिया है. दरअसल, रूस में भारत के सबसे बड़े लेंडर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और मिड-साइज पब्लिक सेक्टर बैंक केनरा बैंक (Canara Bank) का ज्वाइंट वेंचर है. रूस में ऐक्टिव यह भारतीय ओरिजिन का एक मात्र बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन है.
क्या है ज्वाइंट वेंचर का नाम?
वैसे तो वॉर जोन में भारतीय बैंकों की कोई सब्सिडियरी, ब्रांच या रिप्रजेंटिव नहीं है. लेकिन, रूस में भारत के बस दो बैंक हैं. एसबीआई और केनरा बैंक के ज्वाइंट वेंचर का नाम 'कॉमर्शियल इंडो बैंक एलएलसी' (Commercial Indo Bank LLC) है. इस बैंक में जहां SBI की हिस्सेदारी 60 % है जबकि केनरा बैंक की हिस्सेदारी 40 फीसदी है.
आरबीआई कर रहा निगरानी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस जंग के बीच उत्पन्न स्थिति पर नजर रख रहा है. आरबीआई की तरफ से दिए गए डेटा के मुताबिक रूस में किसी भी भारतीय बैंक की कोई सब्सिडियरी नहीं हैं. दूसरे देशों में भारतीय बैंकों की दर्जनों सब्सिडियरी कंपनियां हैं लेकिन ये कंपनियां ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और केन्या, तंजानिया और भूटान जैसे देशों में हैं. यानी रूस में अभी भारत की सब्सिडियरी न होने से कॉमर्शियल इंडो बैंक एलएलसी ही एक मात्र वेंचर है.
31 अक्टूबर, 2021 तक के डेटा के अनुसार भारतीय बैंकों की दूसरे देशों में कुल 124 शाखाएं हैं जिनमें, यूएई में भारतीय बैकों की सबसे अधिक 17 शाखाएं, सिंगापुर में 13, हांगकांग में नौ और अमेरिका, मॉरीशस एवं फिजी द्वीप में 8-8 ब्रांच हैं. यानी भारतीय बैंक की रूस में कोई शाखा नहीं है. इतना ही नहीं, आपको बता दें कि रूस में भारतीय बैंकों का कोई रिप्रजेंटेटिव ऑफिस भी नहीं है जबकि यूएई, ब्रिटेन और हांगकांग जैसे देशों में भारत के 38 रिप्रेजेंटिटव ऑफिस हैं.
एसबीआई ने किया बड़ा ऐलान!
इसी बीच भारत के सबसे बड़े लेंडर ने यह साफ कर दिया है कि इंटरनेशनल प्रतिबंधों के दायरे में आई रूसी इकाइयों के साथ वह किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं करेगा. रॉयटर्स की तरफ से दिए गए एक रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई ने अपने कुछ क्लाइंट्स को पत्र भेजकर सूचित करते हुए कहा है, 'यूएस, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल बैंक, पोर्ट्स और Vessels के साथ किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं किया जाएगा और इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि ट्रांजैक्शन किस करेंसी में हो रही है.
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