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रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बुरा असर, महंगा होगा तेल और सोना
jantaserishta.com
25 Feb 2022 5:18 AM GMT
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नई दिल्ली: कई दिनों से चल रहे विवाद के बीच गुरुवार को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. रूसी सेना यूक्रेन की सीमा में दाखिल हो गई. इसके साथ ही मिसाइलों और अन्य हथियारों की मदद से रूस ने अटैक किया. इस युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में पिछले 24 घंटों में काफी बदलाव हुए. रूस के इस कदम से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने रूस पर सीमित प्रतिबंध लगा दिए हैं. ये आशंका जताई जा रही है कि रूस-यूक्रेन के युद्ध (Russia-Ukraine War crisis) से पैदा हुआ संकट कई दिनों तक यूं ही चलेगा. लेकिन भारत में रह रहे लोगों के मन में ये सवाल है कि इसका भारत पर कोई असर पड़ेगा या नहीं? आइए बताते हैं.
रूस-यूक्रेन के युद्ध के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए पहले ये जानना होगा कि इन दोनों देशों से भारत के रिश्ते कैसे हैं. भारत का का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता है. साथ ही भारतीय नागरिक इन दोनों ही देशों में रहते हैं. यूक्रेन में ज्यादातर स्टूडेंट्स हैं. वही, रूस में स्टूडेंट्स के साथ-साथ नौकरीपेशा भी हैं. रूस में भारतीय दूतावास के मुताबिक, करीब 14 हजार भारतीय रूस में रहते हैं. इनमें करीब 5 हजार छात्र हैं. वहीं, 500 बिजनेसमैन हैं. यूक्रेन में सबसे ज्यादा संख्या मेडिकल स्टूडेंट्स की है. करीब 18 से 20 हजार स्टूडेंट्स यहां पढ़ते हैं.
इन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां बन रही हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस बात को मान चुकी हैं कि सीधे तौर पर व्यापार में कोई फर्क नहीं होगा. लेकिन, वैश्विक तनाव की वजह से बढ़ती तेल कीमतें का असर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है. कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुका है.
ऐसा नहीं है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी केवल भारत में ही होगी. पूरी दुनिया में ही इसका असर देखने को मिलेगा. दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल इंपोर्ट करता है. इसमें से ज्यादातर इंपोर्ट सऊदी अरब और अमेरिका से होता है. इसके अलावा भारत, ईरान, इराक, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल लेता है. दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश अमेरिका है. यहां करीब 16-18 फीसदी तेल उत्पादन होता है. वहीं, रूस और सऊदी अरब में 12-12 फीसदी का उत्पादन होता है. 3 में से 2 बड़े देश युद्ध जैसी स्थिति में आमने-सामने होंगे तो तेल की सप्लाई पूरी दुनिया में प्रभावित होगी. यही वजह है कि तेल की कीमतें 8 साल की ऊंचाई पर हैं.
तेल की कीमतों का सीधा असर महंगाई से भी है. पेट्रोल-डीजल के भाव (Petrol-Diesel price today) में एकदम से तेजी आएगी. सब्जी और जरूरत की चीजों के भाव भी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, डेढ़ महीने से पेट्रोल की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. लेकिन, इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल 15-17 फीसदी का उछाल मार चुका है. अनुमान के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल के इजाफे से इंडियन इकोनॉमी पर करीब 8000-10,000 करोड़ का बोझ बढ़ता है. अब जल्द ही भारत में भी तेल की कीमतें रिवाइज होंगी. ऐसे में पेट्रोल-डीजल का भाव 6-10 रुपए प्रति लीटर (Petrol-Diesel price per litre) बढ़ना तय है.
इन चीजों से पड़ सकता है भारत पर असर
- दुनिया में सबसे ज्यादा रिफाइंड सूरजमुखी यूक्रेन से एक्सपोर्ट होता है. यूक्रेन के बाद रिफाइंड सप्लाई में रूस का नंबर है. दोनों देशों के बीच युद्ध लंबे समय चला तो घरों में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी तेल की किल्लत हो सकती है.
- भारत के लिए यूक्रेन का बाजार फर्टिलाइजर के लिए भी बड़ा है. यहां से बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर भारत आता है. साथ ही इंडियन नेवी के कुछ टर्बाइन भी यूक्रेन बेचता है.
- रूस से मोती, कीमती पत्थर, धातु का इंपोर्ट होता है. काफी धातुओं का इस्तेमाल तो स्मार्टफोन और कंप्यूटर बनाने के लिए किया जाता है.
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