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रूस यूक्रेन जंग: भारत को मिल रहा प्रतिबंध का फायदा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह?
jantaserishta.com
19 Jun 2022 9:20 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: क्रूड ऑयल (Crude Oil) के बाद भारत ने रूस (Russia) से भारी मात्रा में कोयला (Coal) भी खरीदना शुरू कर दिया है. यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद भारत में रूसी कोयले की खरीद बढ़ी है. रूस के व्यापारी कोयले पर 30 फीसदी तक की छूट दे रहे हैं. रूस ने अप्रैल में यूरोपीय संघ (European Union) को कोयले पर व्यापक प्रतिबंधों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि उनके फैसले उल्टे पड़ेंगे, क्योंकि रूस का ईंधन किसी और बाजार की तरफ भेज दिया जाएगा.
भारत ने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग खत्म होनी चाहिए, लेकिन वो रूस से सामानों की खरीद नहीं रोक सकता है. ऐसा करने से तमाम वस्तुओं की कीमतों में उछाल आएगा और ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
अमेरिकी अधिकारियों ने भारत से कहा है कि रूस से ऊर्जा आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसमें तेजी नहीं आनी चाहिए. रूस के साथ यूरोपीय संघ के व्यापार बंद होने का फायदा भारतीय खरीदार उठा रहे हैं. अधिक ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट के बावजूद वे भारी मात्रा में रूस से कोयले का आयात कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने बीते बुधवार तक 20 दिनों में 331.17 मिलियन डॉलर का कोयला या उससे जुड़े उत्पादों की खरीद की है. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में छह गुना अधिक है.
इसी तरह भारतीय रिफाइनरियों ने रूस से क्रूड ऑयल भी भारी मात्रा में खरीदा है. आंकड़ों से पता चलता है कि बीते बुधवार तक 20 दिनों में भारत ने रूस से 2.22 मिलियन डॉलर का का तेल खरीदा है.यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 31 गुना बढ़ा है. हालांकि, रूस से बढ़ते ईंधन के आयात पर अभी तक भारती व्यापार मंत्रालय की तरफ किसी भी तरह का बयान नहीं जारी किया गया है.
रायटर्स के अनुसार, रूस के व्यापारी पेमेंट मोड को लेकर काफी उदार हैं. वे भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में पेमेंट स्वीकार कर रहे हैं. कोयले पर छूट आकर्षक है और इसकी खरीद अभी जारी रहेगी. भारत ने तीन सप्ताह तक औसतन 16.55 मिलियन डॉलर (128.62 रुपये) का रूसी कोयला प्रतिदिन खरीदा है. ये रूस के 24 फरवरी के आक्रमण के बाद तीन महीनों में खरीदे गए 7.71 मिलियन डॉलर से दोगुना है. पिछले 20 दिनों की अवधि में तेल की खरीद औसतन 110.86 मिलियन डॉलर (863.70 रुपये) प्रति दिन थी.
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