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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Rupee Depreciation: रुपये में लगातार हो रही गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा खतरा मंडराता दिख रहा है. पिछले कई सालों से डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. पिछले हफ्ते ही डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लुढ़क कर 80 के पार चला गया. इससे पहले भी डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई. अर्थशास्त्रियों की मानें तो आने वाले भविष्य में रुपया डॉलर के मुकाबले और भी नीचे जा सकता है.
रुपये में हो रही गिरावट पर सर्वे
रुपये में लगातार हो रही इस भारी गिरावट को देखते हुए, लोकल सर्किल ने अपने लेटेस्ट सर्वे के जरिए से लोगों से जानने की कोशिश की है कि वे पिछले 15 वर्षों में आर्थिक दृष्टि से भारत के प्रदर्शन को कैसे देखते हैं. सर्वे में यह भी जानने की कोशिश की गई है कि भारतवासी रुपये के लगातार कमजोर पड़ने से कितना चिंतित हैं, और उन्हें आगे इसे लेकर क्या लग रहा है.
जानिए क्या कहता है सर्वे?
Local Circles ने देश के 328 से अधिक जिलों में सर्वे किया. यहां के नागरिकों से 34,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं. इनमें 65% पुरुष थे जबकि 35% महिलाएं. सर्वे पर प्रतिक्रिया देने वालों में 43% टियर 1 शहरों, 34% टियर 2 शहरों, 23% टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे. इस सर्वे के रिजल्ट के अनुसार, 2007 में 38 रुपये प्रति डॉलर से 2022 में 80 रुपये प्रति डॉलर तक भारी मूल्यह्रास को देखते हुए हर 2 में से 1 भारतीय का मानना है कि भारत ने आर्थिक दृष्टि से खराब प्रदर्शन किया है. इतना ही नहीं, सर्वे में इस सवाल पर 11,207 प्रतिक्रियाएं मिलीं.
क्या कहा लोगों ने?
Local Circles के सर्वे में 52% लोग हाई ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट और खाना पकाने के ईंधन की लागत, आवश्यक उत्पादों और सेवाओं की लागत बढने की वजह से परेशान हैं और खुद पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद करते हैं. रुपये की कीमत की वजह से 52% लोगों का मानना है कि वस्तुओं और सेवाओं की लागत अधिक होगी, विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा और दवाएं. सर्वे में 44% लोग बढ़ते विदेशी यात्रा किराए को लेकर चिंतित हैं. 24% लोगों ने अपने बच्चों/पोते-पोतियों के लिए विदेश में शिक्षा योजनाओं पर प्रभाव का डर जताया है. यानी इस सर्वे के बाद यह निश्चित है कि लोगों को आने वाले जेनेरेशन की चिंता भी है.
लगातार क्यों गिर रहा भारतीय रुपया?
अब सवाल है कि आखिर RBI और केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाए जाने के बावजूद रुपये में लगातार गिरावट क्यों हो रही है. डॉलर के मुकाबले लगातार लुढ़कते रुपये के पीछे कई फैक्टर हैं. इनमें सबसे बड़ी वजह विदेशी निवेश का बड़ी तादाद में निकाला जाना. आधिकारिक अनुमान है कि वित्त वर्ष 2012 की शुरुआत और 15 जुलाई के बीच लगभग 31.5 अरब डॉलर निकाले गए थे. हालांकि RBI ने विदेशी मुद्रा की डिमांड को बढ़ने के लिए आयात और निर्यात में भारतीय रुपये में सेटलमेंट को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी रुपये की कीमत में गिरावट दिख रही है.
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