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रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट बैंक को लेकर बड़ा ऐलान, देश के अलग-अलग पेमेंट बैंकों को मिलेगी मदद

Apurva Srivastav
7 April 2021 8:16 AM GMT
रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट बैंक को लेकर बड़ा ऐलान, देश के अलग-अलग पेमेंट बैंकों को मिलेगी मदद
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रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट बैंक को लेकर बड़ा ऐलान किया है. यह ऐलान रिजर्व बैंक के वित्तीय नियमों के तहत किया गया है

रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट बैंक को लेकर बड़ा ऐलान किया है. यह ऐलान रिजर्व बैंक के वित्तीय नियमों के तहत किया गया है. रिजर्व बैंक ने पेमेंट बैंकों की डिपॉजिट लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है. पहले यह राशि 1 लाख रुपये की थी. इससे देश के अलग-अलग पेमेंट बैंकों को बड़ी मदद मिलेगी. इस मुद्दे के बारे में विस्तार से जानने से पहले पेमेंट बैंक के बारे में जान लेना चाहिए. दरअसल, पेमेंट बैंक भी अन्य बैंकों की तरह ही होते हैं लेकिन इनका कामकाज छोटे स्तर पर होता है और इसमें क्रेडिट का कोई जोखिम नहीं होता.

साधारण भाषा में समझें तो पेमेंट बैंक अन्य व्यावसायिक बैंकों की तरह वित्तीय कामकाज कर सकते हैं लेकिन कुछ जरूरी बाध्यताएं हैं. जैसे कि पेमेंट बैंक लोन नहीं दे सकते या कस्टमर्स को क्रेडिट कार्ड नहीं दे सकते. अन्य व्यावसायिक बैंक यह काम बड़े स्तर पर करते हैं. पेमेंट बैंक 1 लाख रुपये तक का डिमांड डिपॉजिट स्वीकार कर सकता है, रेमिटेंस सर्विस दे सकता है. साथ ही मोबाइल पेमेंट, ट्रांसफर, एटीएम, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग और थर्ड पार्टी ट्रांसफर की सुविधा देते हैं.
कैसे बना पेमेंट बैंक
साल 2013 में रिजर्व बैंक ने देश में छोटे स्तर पर चलाए जाने वाले बिजनेस और कम आमदनी वाले लोगों के लिए बैंकिंग सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक कमेटी का गठन किया. डॉ. नचिकेत मोर को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बैंकिंग की सुविधा पहुंचे और इस कड़ी में अधिकांश लोग जोड़े जा सकें, इसके लिए यह कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने 2014 में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी. रिपोर्ट में स्पेशलाइज्ड बैंक या पेमेंट बैंक बनाने का सुझाव दिया गया. 1 जनवरी, 2016 तक देश के हर नागरिक का अपना एक बैंक अकाउंट हो और यह सुविधा निम्न आय वर्ग के लोगों को खास तौर पर मिल सके, इसके लिए पेमेंट बैंक के गठन का सुझाव दिया गया.
पेमेंट बैंक का उद्देश्य
छोटे बिजनेस करने वाले, कम आमदनी पाने वाले और प्रवासी श्रमिकों को बैंकिंग की सुविधा दी जा सके, पेमेंट बैंक शुरू करने के पीछे सबसे बड़ा मकसद यही था. इसमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा हो सके, खासकर मोबाइल आधारित टेक्नोलॉजी ताकि लोग मिनटों में पेमेंट ले और दे सकें. पेमेंट बैंक के जरिये रिजर्व बैंक का उद्देश्य देश के दूर-दराज इलाकों में बैंकिंग सुविधा बढ़ाने पर जोर देना है. फिलहाल प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) मॉडल के आधार पर पेमेंट बैंक चलाए जा रहे हैं. एयरटेल मनी इसी का एक नमूना है जिसमें रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक फिक्स्ड या रिकरिंग डिपॉजिट लेने की अभी अनुमति नहीं है.
साल 2015 में रिजर्व बैंक ने देश के 11 आवेदकों को साल 2017 तक अपना पेमेंट बैंक बनाने की इजाजत दी थी. नवंबर 2016 में एयरटेल ने देश का पहला पेमेंट बैंक लॉन्च किया था. यह दौर नोटबंदी का था और देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. इसके बावजूद एयरटेल ने पहला पेमेंट बैंक स्थापित किया. पेमेंट बैंक के जरिये बैंकिंग की आसान सुविधा दी जाती है. इसके तहत लोग पेपरलेस बैंकिंग की सुविधा पा सकते हैं. इसमें मोबाइल बैंकिंग की फैसिलिटी भी दी जाती है. क्यूआर कार्ड आधारित पेमेंट सुविधा भी मिलती है. पेमेंट बैंक थर्ड पार्टी सर्विस जैसे कि इंश्योरेंस, लोन और निवेश में मदद करते हैं.
RBI का नया ऐलान
एक नए ऐलान के मुताबिक, पेमेंट बैंक की डिपॉजिट लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है. पेमेंट बैंक काफी समय से लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे थे. सरकार ने अभी हाल में बैंकों में जमा राशि की डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट 5 लाख रुपये तक बढ़ा दी है. पेमेंट बैंकों ने इसी आधार पर डिपॉजिट लिमिट बढ़ाने की मांग की थी जिसे रिजर्व बैंक ने स्वीकर करते हुए 2 लाख रुपये कर दिया है.


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