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रिजर्व बैंक ने बैंकों को दिए निर्देश, जाने क्या करना होगा जरूरी 

Shiddhant Shriwas
19 Aug 2021 3:13 AM GMT
रिजर्व बैंक ने बैंकों को दिए निर्देश, जाने क्या करना होगा जरूरी 
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बैंक लॉकरों से संबंधित नियम बदलने वाले हैं। रिजर्व बैंक ने नए नियम जारी कर दिए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बैंक लॉकरों से संबंधित नियम बदलने वाले हैं। रिजर्व बैंक ने नए नियम जारी कर दिए हैं। हालांकि इस बदलाव पर अमल में अभी करीब चार माह का समय बाकी है, लेकिन लॉकर धारकों को नए नियमों को जानना जरूरी है।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार एक जनवरी 2022 के बाद केवाईसी (KYC) के माध्यम से ऐसे लोगों को भी लॉकर की सुविधा दी जा सकेगी, जिनका बैंक में खाता नहीं है। हालांकि संबंधित व्यक्ति को लॉकर की सुविधा देना या नहीं, यह बैंकों पर निर्भर करेगा।

अब बैंक लॉकर में चोरी, धोखाधड़ी, आग या अन्य नुकसान की स्थिति में ग्राहक को सालाना शुल्क का 100 गुना तक भुगतान किया जाएगा। आरबीआई ने बुधवार को नई गाइडलाइंस जारी की है, जो एक जनवरी 2022 से लागू होगा।

रिजर्व बैंक ने बताया कि लॉकर में ग्राहकों ने कितनी भी रकम क्यों न रखी हो, अगर कोई नुकसान होता है तो बैंकों पर सालाना शुल्क की 100 गुना तक देनदारी आएगी। हर बैंक को ग्राहक के साथ स्टांप के जरिये एग्रीमेंट करना होगा। अगले साल से गैर बैंकिंग ग्राहकों को भी लॉकर की सुविधा मिल सकेगी। हालांकि, यह पूरी तरह बैंकों पर निर्भर करेगा। अगर किसी लॉकर के गैरकानूनी इस्तेमाल का शक हुआ, तो बैंक उस पर कार्रवाई भी कर सकेगा।

ग्राहक बैंक के साथ अपनी केवाईसी पूरी करने के बाद लॉकर के लिए आवेदन कर सकते हैं। नए नियम मौजूदा ग्राहकों पर भी लागू होंगे। बैंकों को सभी शाखाओं में खाली लॉकर का ब्योरा कोर बैंकिंग सिस्टम को उपलब्ध कराना होगा, ताकि ग्राहक ऑनलाइन आवेदन कर सकें। भूकंप, बाढ़ जैसी दैवीय आपदा से लॉकर को नुकसान होने पर बैंक कोई भरपाई नहीं करेंगे।

सालाना लॉकर शुल्क

2,000 रुपये सालाना शुल्क है छोटे लॉकर का

4,000 रुपये मेट्रो शहरों में लगता है लॉकर का शुल्क

8,000 रुपये बड़े लॉकर का सालाना शुल्क है जीएसटी सहित

ग्राहक को बताकर ही शिफ्ट करेंगे लॉकर

बैंक ग्राहक को सूचना देने के बाद ही लॉकर की शिफ्टिंग एक जगह से दूसरी जगह कर सकेंगे। लॉकर के किराये के रूप में टर्म डिपॉजिट का इस्तेमाल किया जा सकता है। बैंक हर बार इस्तेमाल करने की सूचना ग्राहक को ई-मेल और एसएमएस के जरिये देंगे। साथ ही वॉल्ट रूप से एंट्री व एग्जिट का 180 दिन का सीसीटीवी फुटेज भी रखेंगे।

प्रमुख बदलाव एक नजर में

बैंक व ग्राहक के बीच एग्रीमेंट स्टांप पर होगा।

लॉकर का उपयोग करने पर बैंकों को संबंधित ग्राहक को एसएमएस और ईमेल भेजना पड़ेगा।

ग्राहकों से लॉकर खोलने के लिए अर्जी ली जाएगी। इसके बाद नंबर जारी होगा।

लॉकर आवंटन की जानकारी कोर बैंकिंग सिस्टम से जुड़ी होगी।

लॉकर को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर ग्राहक को पूर्व सूचना देना होगी।

बैंकों को स्ट्रांग रूम या वॉल्ट की कड़ी सुरक्षा करना होगी।

लॉकर कक्ष में प्रवेश व बाहर निकलने का सीसीटीवी फुटेज कम से कम 180 दिन रखना होगा।

लॉकर किराए के तौर पर एफडी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके ब्याज से किराया राशि की कटौती की जा सकेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में यह कहा था

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में एक फैसले में शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से छह महीने में बैंकों की लॉकर सुविधा प्रबंधन को लेकर विनियमन बनाने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि लॉकर परिचालन के मामले में ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बैंक पल्ला नहीं झाड़ सकते।

जस्टिस एमएम शांतनागौदार और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने कहा था कि वैश्वीकरण के दौर में बैंकिंग संस्थानों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। बैंकिंग संस्थान अब आम लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पीठ ने कहा कि तकनीकी विकास के कारण अब हम दो चाबी वाले लॉकर से इलेक्ट्रॉनिक लॉकर की ओर बढ़ रहे हैं। नए तरह के लॉकर पर ग्राहकों के पासवर्ड या एटीएम पिन के जरिए आंशिक रूप से पहुंच होती हैं, उन्हें तकनीक के बारे में कम ही जानकारी होती है। इस बात का भी आशंका बनी रहती है कि बदमाश तकनीकी हेरफेर कर लॉकर तक पहुंच जाए और ग्राहकों को इसकी भनक तक न लगे। पीठ ने कहा, ग्राहक पूरी तरह से बैंक के भरोसे रहते हैं। संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों के पास अधिक व बेहतर संसाधन है। ऐसी स्थिति में बैंक अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते कि बैंक के लॉकर के संचालन में उनकी जिम्मेदारी नहीं है।

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