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विदेशी निवेशकों को लुभाने के मकसद से सरकार ने टैक्स विभाग ने एक बड़ा फैसला किया है
विदेशी निवेशकों को लुभाने के मकसद से सरकार ने टैक्स विभाग ने एक बड़ा फैसला किया है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने सेफ हार्बर रेट को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए लागू किया है. इसके लिए असेसमेंट ईयर 2021-22 होगा. इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2021 से हो चुकी है और 31 मार्च 2022 तक चलेगी. आमतौर पर, सेफ हार्बर को उन परिस्थितियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें टैक्स अधिकारियों को करदाता द्वारा घोषित हस्तांतरण मूल्य (transfer price) को स्वीकार करना होता है.
ट्रांसफर प्राइस का मतलब उन कीमतों से है, जिन पर एक कंपनी की विभिन्न विदेशी इकाइयां आपस में एक दूसरे के साथ लेनदेन करती हैं. टैक्स विभाग की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, सेफ हार्बर नियमों (Safe Harbour Rules) के तहत दरें 2016-17 से 2018-19 तक लागू हैं और इसे बाद में 2019-20 तक बढ़ाया गया और ये 2020-21 में भी लागू रहेंगी.
फिलहाल एक साल के लिए नोटिफाई किया गया है
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर नितिन नारंग ने कहा कि पिछले साल की तरह, इस साल फिर दरों को तीन या पांच साल की अवधि के बजाय केवल एक साल के लिए अधिसूचित किया गया है. उन्होंने कहा कि एसएचआर करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए.
विदेशी कंपनियों को होगा फायदा
नारंग ने कहा कि कोरोना क्राइसिस के कारण बिजनेस पर काफी बुरा असर हुआ है. ऐसे में यह एक अच्छा फैसला है. बता दें कि भारत ने फाइनेंस एक्ट 2009 में सेफ हार्बर रूल्स को नोटिफाई किया था. उसके बाद 2013 में पहली बार इसके प्रोविजन को शामिल किया गया. उस समय इसे तीन सालों के लिए लागू किया गया था. 2017 में दोबारा इसे नोटिफाई किया गया और यह वित्त वर्ष 2019-20 तक लागू था. इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन की बात करें तो अलग-अलग तरह के ट्रांजैक्शन के लिए अलग-अलग इंट्रेस्ट रेट सुझाए गए हैं.
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