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रिकॉर्ड बुवाई और रिकॉर्ड उत्पादन, सरसों उत्पादक किसानों को इस साल पहले जैसा नहीं मिल रहा फायदा

Gulabi Jagat
12 July 2022 4:07 PM GMT
रिकॉर्ड बुवाई और रिकॉर्ड उत्पादन, सरसों उत्पादक किसानों को इस साल पहले जैसा नहीं मिल रहा फायदा
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सरसों उत्पादक किसानों को इस साल पहले जैसा फायदा नहीं मिल रहा है. लगभग साल भर पहले जहां सरसों का भाव (Mustard Price) 8000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर था वहीं इस समय 6000 से 6500 रुपये तक का रेट चल रहा है. जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) साल भर में ही 400 रुपये बढ़कर 5050 रुपये क्विंटल हो चुका है. यानी ओपन मार्केट में इस साल दाम बढ़ने की जगह पिछले साल के मुकाबले घट गया है. मार्केट विशेषज्ञों के मुताबिक आगामी हफ्तों में किसान ज्यादा कीमत की उम्मीद में अपने स्टॉक को होल्ड रख सकते हैं. दरअसल, पिछले दो साल से किसानों को सरसों से अच्छी कमाई हुई है, लेकिन कीमतों में आई हाल की गिरावट ने उनके बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. हालांकि, ओपन मार्केट में दाम अब भी एमएसपी से ऊपर है.
बताया जा रहा है कि इस साल सरसों की आवक ज्यादा है. क्योंकि उत्पादन पहले से काफी अच्छा हुआ है. साथ ही खाद्य तेलों के दाम में कमी को लेकर उठाए गए सरकारी कदमों का भी असर तिलहन मार्केट पर दिखाई दे रहा है. भरतपुर स्थित मस्टर्ड रिसर्च निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय का कहना है कि केंद्र सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात पर आयात शुल्क और एग्रीकल्चर सेस को मार्च 2024 तक खत्म कर दिया है. पाम ऑयल का भी खूब इंपोर्ट हो रहा है. इससे भी सरसों के दाम पर दबाव है.
रिकॉर्ड बुवाई और रिकॉर्ड उत्पादन
रबी सीजन 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सरसों की बुवाई 18.32 लाख हेक्टेयर अधिक हुई थी. साल 2021-22 में 91.44 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई थी, जबकि 2020-21 में इसका क्षेत्र मात्र 73.12 लाख हेक्टेयर था. साल 2021 में 102.10 लाख टन ही सरसों का उत्पादन था.
जबकि कृषि मंत्रालय द्वारा लगाए गए 2021-22 के तृतीय अग्रिम अनुमान के मुताबिक 117.5 मिलियन टन सरसों उत्पादन का अनुमान है. जो अब का सबसे अधिक है. हालांकि मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MOPA) के अनुसार भारत में सरसों का उत्पादन 11 मिलियन टन होने का अनुमान है. कहा जा रहा है कि रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से भी इसके दाम में नरमी है.
कितना होगा सरसों तेल उत्पादन?
फसल वर्ष 2021-22 में भारत में सरसों तेल का उत्पादन 28.5 फीसदी (8.2 लाख टन) बढ़कर 3.67 मिलियन टन रहने का अनुमान है. जबकि 2020-21 में 2.85 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था. हालांकि ओरिगो ई-मंडी की रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि सरसों तेल का उत्पादन 4.4 से 4.8 मिलियन टन के बीच रहना चाहिए. उन्होंने यह गणना 40 फीसदी ऑयल कंटेंट वाली सरसों के 11.5 से 12 मिलियन टन उत्पादन पर किया है.
उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि इस सीजन में सरसों में तेल की मात्रा 40.5 फीसदी के आसपास है और अगर 11 मिलियन टन के उत्पादन पर यही मात्रा रहती है तो सरसों तेल उत्पादन 3.67 मिलियन टन के बजाय 4.455 मिलियन टन रहना चाहिए.
मार्केट में कितनी हुई आवक?
कमोडिटी रिसर्चरों के मुताबिक चालू फसल वर्ष में 29 जून तक मंडियों में कुल 5.56 मिलियन मीट्रिक टन सरसों की आवक हो चुकी है जो कि कुल फसल आकार का करीब 50 फीसदी है. माहवार आवक की बात करें तो फरवरी 2022 में 0.535 मिलियन टन और मार्च में 2.19 मिलियन मीट्रिक टन की आवक हुई.
अप्रैल में 1.32 मिलियन मीट्रिक टन और मई में 1.00 मिलियन मीट्रिक टन सरसों की आवक हुई थी. वहीं जून में अभी तक 0.56 मिलियन मीट्रिक टन सरसों की आवक हो चुकी है. अच्छे दाम की उम्मीद में किसानों ने अभी सरसों रोका हुआ है. क्योंकि उन्हें लगता है कि देश अभी तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है. ऐसे में देर सबेर रेट तो बढ़ेगा ही.
मस्टर्ड मील का एक्सपोर्ट घटा
फसल वर्ष 2021-22 में भारत में सरसों मील का उत्पादन 28.3 फीसदी बढ़कर 5.75 मिलियन टन होने का अनुमान है. साल 2020-21 में 4.48 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था. बात करें एक्सपोर्ट की तो मई 2022 में सरसों मील का निर्यात सालाना आधार पर 45.3 फीसदी गिरकर 43,899 टन दर्ज किया गया था, जबकि मई 2021 में 92,139 टन का निर्यात हुआ था.
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