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उपभोक्ताओं को इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं है.
कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) की दूसरी लहर से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की आधी अवधि में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित जरूर हुई हैं, लेकिन कमजोर नहीं पड़ी हैं. हालांकि संक्रमितों की संख्या पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की रफ्तार ने भारत और दुनिया को अचंभित किया है. इस तेजी पर अंकुश लगाने के लिये युद्ध स्तर पर अभियान चलाये गये हैं.
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम डी पात्रा और अन्य अधिकायों ने अपने लेख में लिखा है,दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पहली लहर के मुकाबले सीमित जान पड़ता है. स्थानीय स्तर पर जरूरत के मुताबिक, लॉकडाउन, लोगों को घर से काम करने की व्यवस्था के लिये स्वयं को बेहतर तरीके से तैयार करना, ऑनलाइन डिलिवरी मॉडल, ई-वाणिज्य और डिजिटल भुगतान का अच्छे तरीके से काम करना इसके उदाहरण हैं.
लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर हल्का पड़ा असर
आरबीआई ने साफ किया है कि रिपोर्ट में अभिव्यक्त विचार लेखकों के हैं और कोई जरूरी नहीं है कि वे आरबीआई के विचारों से मेल खाते हों. रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि पर रोक लगाने के लिये कई राज्यों में लगायी गयी पाबंदियो से अप्रैल और मई में वास्तविक अर्थव्यवस्था के कई संकेतक हल्के पड़े. पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर महानगरों, शहरों में तेज रही. यह राज्यों, क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैला है.
दूसरी लहर से 2020-21 की पहली तिमाही की आधी अवधि में आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित जरूर किया लेकिन उसे कमजोर नहीं किया. सकल मांग की स्थिति पर असर पड़ा है लेकिन वह प्रभाव पहली लहर जैसा गंभीर नहीं है.
पिछले साल के मुकाबले कम असर
इसमें कहा गया है, हालांकि इस समय स्थिति अभी स्थिर नहीं हुई है. लेकिन जो प्रवृत्ति है, उससे यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की गति पर जो असर पड़ा है, वह उतना गंभीर नहीं है, जितना कि पिछले साल था.
लेख के अनुसार, दूसरी लहर का सबसे बड़ा प्रभाव मांग के झटके के संदर्भ में है – आवाजाही पर असर, सोच-विचारकर किये जाने वाले खर्च और रोजगार की कमी. इसके अलावा माल भंडार पर भी असर पड़ा है. जबकि कुल आपूर्ति पर प्रभाव कम पड़ा है.
इसमें कहा गया है कि घरेलू व्यापार के बारे में संकेत देना वाला ई-वे बिल में अप्रैल 2021 में मासिक आधार पर 17.5 फीसदी की कमी आयी है. पेट्रोल और डीजल बिक्री के प्रारंभिक आंकड़े भी अप्रैल में ईंधन की मांग में नरमी को बताते हैं जिसका कारण आवाजाही पर पाबंदी है.
इसके अलावा यात्री वाहनों के मूल उपकरण विनिर्माताओं ने अप्रैल में मासिक आधार पर गिरावट की सूचना दी है. माल ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही में नरमी आयी है.
एग्री और आईटी सेक्टर मजबूती से खड़े
लेख के अनुसार संक्रमण से अंग्रेजी के अक्षर यू के आकार की स्थिति दिख रही है. इसमें एक कृषि और दूसरा आईटी है जो तूफान में मजबूती से खड़े हैं.
इसमें कहा गया है कि इस यू में एक ढलान पर संगठित और स्वचालित विनिर्माण की जबकि दूसरी ढलान पर ऐसी सेवाएं हैं जिनकी दूर-दराज के क्षेत्रों में डिलिवरी की जा सकती है और इसके लिये उत्पादकों और उपभोक्ताओं को इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं है.
Neha Dani
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