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आरबीआई रिपोर्ट में दावा, खाड़ी देशों से आने वाले धन में गिरावट, जानें पूरी बात

jantaserishta.com
18 July 2022 7:45 AM GMT
आरबीआई रिपोर्ट में दावा, खाड़ी देशों से आने वाले धन में गिरावट, जानें पूरी बात
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Covid-19) की वजह से पूरी दुनिया में आर्थिक संकट (Economic Crisis) पैदा हो गया. दुनिया भर में तमाम रोजगार ठप हो गए, जिसका गहरा असर लोगों की आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा. कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक तनाव की वजह से खाड़ी देशों (Gulf Countries) से आने वाले धन में गिरावट आई. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हवाले से छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 के दौरान भारत में खाड़ी देशों से आने वाले धन की हिस्सेदारी तेजी से कम हुई है.

आरबीआई के एक सर्वेक्षण हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाएं प्रेषण (भेजा हुआ धन) के लिहाज से भारत के लिए महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभरी हैं. इन देशों की 2020-21 में भारत में आए कुल धन में हिस्सेदारी 36 प्रतिशत है.
केंद्रीय बैंक के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के अधिकारियों द्वारा तैयार किए लेख के अनुसार, भारत को धन भेजने में खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछली सर्वेक्षण अवधि 2016-17 के समय 50 फीसदी से अधिक थी. 2020-21 में इसमें 20 फीसदी की गिरावट आई है और अब अनुमान जताया गया है कि ये घटकर 30 प्रतिशत हो सकती है. हालांकि, रिजर्व बैंक का कहना है कि लेख में छपे विचार लेखकों के हैं. ये केंद्रीय बैंक का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान खाड़ी देशों से भारत भेजे जाने वाले धन में आई गिरावट का प्रमुख कारण कोविड रहा है. कोविड के दौरान आवागमन ठप रहा है. साथ ही ये आंकड़े ये साबित करते हैं कि खाड़ी देशों में काम करने वाले प्रवासी भारतीय जिस सेक्टर में काम करते थे, वो कोविड के दौरान बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. इस वजह से कोविड के दौरान प्रेषण में छोटे आकार के लेनदेन का अनुपात बढ़ गया.
2020-21 के दौरान अमेरिका से सबसे अधिक धन भारत भेजा गया, जिसकी वजह से उसने इस मामले में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को पीछे छोड़ दिया. 2020-21 में कुल धन प्रेषण में अमेरिका की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत रही. खाड़ी सहयोग परिषद क्षेत्र से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में सर्वाधिक धन भेजा जाता है. इन राज्यों में भी 2020-21 में ये हिस्सेदारी आधी हो गई. ये 2016-17 से कुल प्रेषण का केवल 25 प्रतिशत है. वहीं, महाराष्ट्र, केरल को पछाड़कर टॉप प्राप्तकर्ता राज्य के रूप में उभरा है.
इसके विपरीत उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से खाड़ी देशों में जाने वाले लोगों की संख्या हाल के वर्षों में बढ़ी है. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में जीसीसी क्षेत्र के लिए मंजूर इमिग्रेशन क्लीयरेंस का 50 प्रतिशत से अधिक इन राज्यों के लिए था. 2020-21 में महाराष्ट्र और दिल्ली की हिस्सेदारी में काफी बढ़ोतरी हुई है.

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