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आरबीआई महंगाई के लिए दोषी नहीं, निकट भविष्य में कीमतें घटने की कोई संभावना नहीं: एसबीआई

Renuka Sahu
17 May 2022 5:03 AM GMT
RBI not to blame for inflation, no chance of price reduction in near future: SBI
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फाइल फोटो 

भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप में बैंक ने कहा है कि महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप में बैंक ने कहा है कि महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध है. रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई को इसके लिए दोष देना बेमानी है. साथ ही यह भी कहा गया है कि निकट भविष्य में महंगाई के कम होने की कोई संभावना नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खाने की वस्तुओं के दाम अधिक हैं और शहरी इलाकों में यह बहुत अधिक हो गए हैं. फरवरी से अब तक बढ़ी कुल महंगाई में खाद्य व पेय पदार्थ, ईंधन, बिजली और ट्रांसपोर्ट ने 52 फीसदी का योगदान दिया है.
59 फीसदी महंगाई युद्ध से बढ़ी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर विशेष रूप से एफएमसीजी क्षेत्र में आ रही इनपुट लागत और पर्सनल केयर संबंधी वस्तुओं को भी महंगाई के फैक्टर में शामिल किया जाए तो कुल महंगाई का 59 फीसदी हिस्सा केवल रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ा है. बकौल रिपोर्ट, यह लगभग तय है कि मुद्रास्फीति की बढ़ोतरी को काबू करने के लिए आरबीआई जून और अगस्त में फिर से दरों में वृद्धि कर सकता है. हालांकि, युद्ध जारी रहने तक ब्याज दरें घटाने से मुद्रास्फीति में कमी आएगी या नहीं इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. रिपोर्ट में ब्याज दरें बढ़ाने के लिए आरबीआई की प्रशंसा और समर्थन करते हुए कहा गया है कि यह वित्तीय प्रणाली के लिए भी सकारात्मक साबित होगा. रिपोर्ट में आरबीआई को भारतीय टाइमजोन में ऑनशोर मार्केट की बजाय एनडीएफ में हस्पतक्षेप करने की सलाह दी गई है.
अचानक बढ़ाई गई रेपो रेट
आरबीआई ने असामयिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट को 40 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया था. वहीं, इससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई थी जबकि महंगाई दर तब आठ माह के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी थी. 12 मई को अप्रैल के लिए जारी हुआ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 7.79 फीसदी के साथ कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. गौरतलब है कि अगर लगातार 3 तिमाहियों में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के संतोषजनक दायरे (2-6 फीसदी) के बाहर रहती है तो इसे केंद्रीय बैंक की नाकामी के रूप में देखा जता है.
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