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परोक्ष रूप से ईंधन और परिवहन लागत कम होने का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को कहा कि आपूर्ति में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, ईंधन की कीमतों में नरमी के साथ कृषि उत्पादन अच्छा रहने की संभावना के बीच महंगाई दर अगले वित्त वर्ष में नरम पड़कर पांच प्रतिशत पर आ सकती है. आरबीआई ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 5.3 प्रतिशत रह सकती है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क तथा मूल्य वर्धित कर (वैट) को कम किए जाने से प्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में महंगाई दर में टिकाऊ आधार पर कमी आएगी. परोक्ष रूप से ईंधन और परिवहन लागत कम होने का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
दास ने कहा, ''मुद्रास्फीति का अनुमान पूर्व के अनुमान के लगभग अनुरूप है. अल्पकाल में कीमत संबंधी दबाव बने रहने की आशंका है. रबी फसल बेहतर रहने की उम्मीद है. ऐसे में जाड़े में नई फसल की आवक के साथ मौसमी आधार पर सब्जियों के दाम में सुधार की उम्मीद है.'' दास ने कहा, ''मुख्य मुद्रास्फीति पर लागत आधारित दबाव जारी है....''
गवर्नर ने कहा कि इन कारकों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. कुल मिलाकर इसके 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है.
दास ने कहा कि वहीं 2022-22 की पहली तिमाही में इसके नरम पड़कर पांच प्रतिशत पर आने और दूसरी तिमाही में भी पांच प्रतिशत पर ही बने रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का रुख मुख्य रूप से उभरती घरेलू मुद्रास्फीति और वृद्धि गतिविधियों के अनुकूल है. दास ने कहा कि हालांकि हाल में कच्चे तेल के दाम में कुछ नरमी आई है, लेकिन दीर्घकाल में कीमत दबाव पर नियंत्रण मांग में वृद्धि के अनुरूप मजबूत वैश्विक आपूर्ति पर निर्भर करेगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को जनता से रिश्ता टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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