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RBI गवर्नर ने जताई 3 चिंताएं आम आदमी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर होगा असर

Teja
10 Feb 2022 7:43 AM GMT
RBI गवर्नर ने जताई 3 चिंताएं आम आदमी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर होगा असर
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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था और आम आदमी से जुड़ी कई चिंताओं को लेकर उन्होंने बताया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आरबीआई (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई चेंज नहीं हुआ है. इसका मतलब है कि बैंक कर्ज (Loan EMI) की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा. यह लगातार 10वां मौका है जब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले 22 मई, 2020 को आरबीआई ने ब्याज दरें घटाई थीं. इसके बाद ये सबसे निचले पर आ गई. यह फैसला डिमांड बढ़ाने के लिए किया गया था.

RBI गवर्नर की चिंताएं
महंगाई -RBI गवर्नर ने बताया कि मौजूदा समय में दुनियाभर में तेजी से महंगाई बढ़ी है. लेकिन भारत में वैसी स्थिति अभी नहीं है. गवर्नर का कहना है कि वित्‍त वर्ष 2022-23 में रिटेल महंगाई दर 4.5 फीसदी रह सकती है. मौजूदा तिमाही में महंगाई दर ऊंची बनी रहेगी, लेकिन यह 6 फीसदी के तय दायरे से बाहर नहीं जाएगी. हालांकि, न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों के बीच कराए सर्वे में कहा है कि जनवरी में खुदरा महंगाई 6 फीसदी तक पहुंच जाएगी, जो आरबीआई के दायरे का अंतिम छोर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि चौथी तिमाही में महंगाई दर आम आदमी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालेगी. गवर्नर का कहना है कि अगर लोग ये सोचेंगे कि वे जो खाना, सब्‍जी, ईंधन और कपड़े खरीद रहे हैं, वह महंगे हैं तो उनके दिमाग में महंगाई ही घूमेगी. हालांकि, उपभोक्‍ता उत्‍पाद (Consumer Products) से जुड़ी कंपनियों और टेलीकॉम कंपनियों (Telecom Companies) की ओर से कीमतें बढ़ाने का असर खुदरा महंगाई पर भी जरूर दिखेगा.
कच्चा तेल- मौजूदा समय में दूसरी सबसे बड़ी चिंता कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गए है.गवर्नर का कहना है कि कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी चिंता का सबब है जिसके चलते महंगाई बढ़ने का खतरा है. कच्चे तेल के बढ़ते दामों पर नजर बनाये रखना जरुरी है. भारत की क्रूड बास्केट में ब्रेंट क्रूड की प्रमुख हिस्सेदारी होती है. हालांकि फरवरी के पहले दिन क्रूड में गिरावट दर्ज हुई लेकिन अभी भी ब्रेंट क्रूड 88 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव की वजह से देखने को मिली है. फिलहाल रूस और यूक्रेन की सेनाएं आमने सामने हैं वहीं यूरोप और अमेरिका यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं इससे आशंका बन गई है कि रूस यूरोपीय देशों के लिये तेल की सप्लाई बाधित कर सकता है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. वहीं अन्य तेल उत्पादक देश भी बढ़ती मांग के अनुसार सप्लाई में बढ़ोतरी नहीं कर पा रहे हैं जिससे मांग के मुकाबले सप्लाई पर असर की आशंका बन गई है और तेल कीमतों में बढ़त देखने को मिल रही है, गोल्डमैन पहले ही आशंका जता चुका है कि इस साल ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर छू सकता है, इसके लिये मांग में तेज उछाल के मुकाबले सीमित सप्लाई को वजह बताया गया है.
आर्थिक ग्रोथ- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत में बाकी दुनिया से अलग तरीके से रिकवरी हो रही है. उन्होंने स्टेटमेंट में कहा कि भारत IMF द्वारा किए गए अनुमानों के मुताबिक, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सालाना आधार पर सबसे तेज रफ्तार से ग्रोथ करेगा. दास ने कहा कि रिकवरी को बड़े स्तर पर टीकाकरण और फिस्कल और मॉनेटरी सपोर्ट से समर्थन मिला है. लेकिन, कच्चा तेल और महंगाई इस समय सबसे बड़ी चिंता है.


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