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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार चौथी पॉलिसी मीटिंग में विकास पर फोकस करते हुए प्रमुख लेंडिंग रेट को बरकरार रखा, जबकि मुद्रास्फीति फिलहाल इसके टारगेट से ऊपर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने रेपो दर - जिस दर पर केंद्रीय बैंक दूसरे बैंकों को लोन देता है - को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया।" एमपीसी ने यह भी निर्णय लिया कि स्टैंडिंग डिपोजिट फैसेलिटी (एसडीएफ) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (एमएसएफ) दरों को भी क्रमशः 6.25 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर छोड़ दिया गया है।
दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "दुनिया भर में मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के टारगेट से ऊपर है। सॉवरेन बांड की यील्ड बढ़ी है, अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है और इक्विटी बाजार में सुधार हुआ है।" साथ ही गवर्नर दास ने कहा, 'मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर लाने की कोशिश हो रही है।'' अगस्त में वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6.83 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत थी, लेकिन केंद्रीय बैंक के 2 - 6 प्रतिशत के टारगेट से काफी ऊपर।
अनियमित मानसून के कारण सब्जियों, अनाजों और फलों का उत्पादन प्रभावित हुआ है जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। वैश्विक तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं जिससे मुद्रास्फीति में और वृद्धि हुई है। सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी पर 2023-24 के लिए एमपीसी के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। दो महीने में एक बार आने वाली मौद्रिक नीति का पूरा फोकस मुद्रास्फीति से लड़ाई पर था। अक्टूबर एमपीसी के फैसले में, दास ने कहा कि 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4 प्रतिशत है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तीसरी तिमाही के दौरान, खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव बदलता नहीं दिख रहा है, जबकि कोर सीपीआई जनवरी में अपने पहले शिखर से 140 आधार अंक कम हो गया है। पिछले महीने की तुलना में सब्जियों की कीमतें कम होने से अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति गिरकर 6.83 प्रतिशत हो गई, लेकिन यह अभी भी आरबीआई के 2-6 प्रतिशत के बैंड से ऊपर है।
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