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महंगाई और आय व खर्च के मुद्दों पर उनकी धारणा और अपेक्षा जानी गई।
देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ उपभोक्ताओं का विश्वास फिर से घट गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सर्वे से यह जानकारी मिली है। सर्वे के अनुसार, मार्च महीने में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक गिरकर 53.1 पर आ गया जबिक यह जनवरी में 55.5 पर था। उपभोक्तओं के विश्वास में यह गिरावट कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक होने की आशंका, नौकरी, आय और महंगाई बढ़ने से घटा है।
भविष्य को लेकर भी भरोसे में कमी
सर्वे के अनुसार, भविष्य को लेकर भी उपभोक्ताओं के भरोसे में कमी आई है और यह 117.1 से घटकर 108.8 पर आ गया है। आरबीआई का यह सूचकांक उपभोक्ताओं के बाजार और सरकार पर भरोसे की मजबूती व कमजोरी को दर्शाता है। सूचकांक के 100 से ऊपर रहने पर आशावादी और नीचे आने पर निराशावादी रुख का पता चलता है।
इसलिए फिर से डगमगाया भरेासा
भरोसे में यह कमी कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था की हालत और खराब होने की आशंका, बेरोजगारी की बढ़ती दर और आय में कमी डर की वजह से आई है। हालांकि, सर्वे में शामिल लोगों अगले एक साल को लेकर पूरी तरह से आशावादी हैं।
आय घटने और खर्च बढ़ने से परेशान
सर्वे में शामिल लोगों ने कहा है कि कोरोना संकट के बीच उनकी आय घटी है। वहीं, बढ़ती महंगाई के कारण उनका खर्च बढ़ा है। वह बहुत सारे खर्चों में कटौती कर रहें हैं लेकिन परेशानी खत्म नहीं हो रही है। सर्वे के अनुसार, उपभोक्ताओं को भविष्य में महंगाई बढ़ने का संकट दिख रहा है।
आरबीआई ने भी माना महंगाई बढ़ेगी
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा में माना है कि महंगाई बढ़ेगी। आरबीआई ने 2021-22 की पहली तिमाही में 5.2 फीसदी, साल 2021-22 की दूसरी तिमाही में 5.2 फीसदी और साल 2022 की तीसरी तिमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया। यानी महंगाई लोगों को और सताएगी। यह आम उपभक्ताओं की स्थिति को और नाजुक करेग।
13 शहरों में किया गया यह सर्वे
आरबीआई का यह सर्वे 13 बड़े शहरों में 27 फरवरी से लेकर 8 मार्च के बीच किया । सर्वे में शामिल उपभोक्ताओं से मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार सृजन, महंगाई और आय व खर्च के मुद्दों पर उनकी धारणा और अपेक्षा जानी गई।
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