RBI ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नियमों में किया बदलाव, जानें क्या हैं इसके मायने
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (Housing Finance Companies) के लिए संशोधित नियामकीय ढांचा जारी किया है. यह एचएफसी (HFCs) के नियमों को राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank) से केंद्रीय बैंक में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. जून 2020 में आरबीआई ने एचएफसी के लिए नियम सख्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया था. इसके तहत हाउसिंग फाइनेंस की परिभाषा बदलने पर विचार हुआ था. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने होम लोन (Home Loan) के लिए अहम बड़ी एचएफसी की पहचान करने को भी कहा था.
एचएफसी के नेट एसेट का 50% हाम फाइनेंस होना जरूरी
आरबीआई के अनुसार एचएफसी (HFCs) के नेट एसेट का कम से कम 50 फीसदी आवासीय वित्त होना चाहिए और व्यक्तिगत लोन पोर्टफोलियो बनाने के लिए चार साल की अवधि हो. यह लोन पोर्टफोलियो हाउसिंग फाइनेंस बुक का कम से कम 75 फीसदी होना जरूरी है. अगर एचएफसी इस अनुपात का पालन करने में नाकाम रहती है तो उसे एनबीएफसी-इनवेस्टमेंट एंड क्रेडिट कंपनीज (NBFC-ICC) की श्रेणी में डाल दिया जाएगा.
कितनी पूंजी की जरूरत, कैसे रद हो सकता है रजिस्ट्रेशन
जून में केंद्रीय बैंक ने नियमों को संशोधित करने पर यह भी कहा था कि मौजूदा होम लोन कंपनियों को दो साल में अपने न्यूतनम नेट फंड को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करना होगा. आसान शब्दों में समझें तो एचएफसी के लिए न्यूनतम राशि 20 करोड़ रुपये होनी चाहिए. अगर तय अवधि के भीतर एचएफसी इस मानदंड का पालन करने में नाकाम रहती है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. आरबीआई ने कहा है कि किसी भी फ्लोटिंग रेट टर्म लोन पर एचएफसी ग्राहकों पर कोई फोरक्लोजर शुल्क और प्री-पेमेंट पैनेल्टी नहीं थोप सकती.
HFCs के पास शत-प्रतिशत एलसीआर होना जरूरी
आरबीआई ने कहा है कि एलसीआर (Liquidity Coverage Ratio) के मामले में एक लिक्विडिटी बफर तय किया गया है, जो संभावित तरलता व्यवधानों के लिए एचएफसी में लचीलेपन को बढ़ावा देगा. इसके अनुसार, 1 दिसंबर 2025 तक सभी एचएफसी कंपनियों के पास शत-प्रतिशत एलसीआर होना जरूरी है. बता दें कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां का नियमन अभी तक एनएचबी (NHB) कर रहा था, लेकिन आरबीआई के संशोधन के बाद इन कंपनियों के सुरक्षित संचालन के लिए इन्हें कड़ी सुरक्षा में लाया गया है. इससे ग्राहकों को किसी भी तरह के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा.