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सुप्रीम कोर्ट ने बिना आईडी प्रूफ के 2000 रुपये के नोट बदलने की इजाजत देने वाले भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने सोमवार को कहा कि 2000 रुपये के नोट बदलने की इजाजत देना आरबीआई का नीतिगत फैसला है. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर अपील को खारिज करते हुए ये बातें कहीं.
दरअसल, मई महीने में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं. अब आम आदमी देश के किसी भी बैंक में जाकर 2000 के नोट बदलवा सकता है. खास बात यह है कि तब शक्तिकांत दास ने कहा था कि 2000 के नोट बदलने के लिए किसी आईडी प्रूफ की जरूरत नहीं होगी. यानी आम लोग किसी भी बैंक में जाकर अपने 2000 के नोट जमा कर सकते हैं और उसकी जगह उतनी ही रकम के दूसरे नोट वापस ले सकते हैं. इसके बाद वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने आरबीआई के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
हाईकोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी
तब हाई कोर्ट ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी थी. याचिका में कहा गया था कि बिना आईडी प्रूफ के 2000 रुपये के नोट बदलने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा. हालांकि, हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन यहां भी सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर को नीतिगत फैसला बताते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी.
साल 2016 में नोटबंदी हुई थी
आपको बता दें कि साल 2016 में केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये थे. इसके बाद आरबीआई ने 2000 रुपये का नोट जारी किया था. लेकिन 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को भी चलन से बाहर कर दिया. अब इसे 30 सितंबर तक बैंकों में जमा करना होगा.
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