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रेलवे ने तैयार किया जबरदस्त प्लान! 1200 करोड़ रुपये का फालतू खर्च किया बंद

Tulsi Rao
16 Jan 2022 5:29 AM GMT
रेलवे ने तैयार किया जबरदस्त प्लान! 1200 करोड़ रुपये का फालतू खर्च किया बंद
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कोरोना काल में हुई सख्ती के बावजूद रेलवे स्टेशन और प्लेटफॉर्म या किसी भी सार्वजनिक जगह पर लोगों के थूकने की आदत कंट्रोल नहीं हुई है. लेकिन अब रेलवे इन आदतों को कंट्रोल करने के लिए एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Spitting at Railway Station: रेल यात्रियों के लिए जरूरी खबर है. अब रेल सफर और भी सुखद होगा. स्टेशन और ट्रेन को साफ रखने के लिए रेलवे ने जबरदस्त प्लान तैयार किया है. कोरोना काल में हुई सख्ती के बावजूद रेलवे स्टेशन और प्लेटफॉर्म या किसी भी सार्वजनिक जगह पर लोगों के थूकने की आदत कंट्रोल नहीं हुई है. लेकिन अब रेलवे इन आदतों को कंट्रोल करने के लिए एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है.

स्टेशन और प्लेटफॉर्म पर लोगों को इस आदत पर रोक लगाने के लिए रेलवे एक अनोखा इनोवेशन लेकर आया है. आप जान कर दंग रह जाएंगे कि हर साल भारतीय रेलवे पान और तंबाकू खाने वालों की थूकने की वजह से बने दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए 1200 करोड़ रुपये खर्च करता है. यानी एक बुरी आदत की वजह से 1200 करोड़ रुपये फालतू खर्च होते हैं.
42 स्टेशनों पर लगेंगी वेंडिंग मशीन
रेलवे अब हर साल बर्बाद होने वाले ये 1200 करोड़ रुपये बचाने का एक जबरदस्त प्लान तैयार कर लिया है. इसके तहत यात्रियों को रेलवे परिसर में थूकने से रोकने के लिए अब 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन और कियोस्क लगाए जाएंगे. पीटीआई की खबर के मुताबिक, रेलवे की ओर से इस वेंडिंग मशीन में 5 और 10 रुपये तक के स्पिटून पाउच (पाउच वाला थूकदान) दिए जाएंगे.
पाउच वाला थूकदान कैसे करेगा काम?
रेलवे के 3 जोन- पश्चिम, उत्तर और मध्य रेलवे ने इसके लिए नागपुर के एक स्टार्टअप ईजीपिस्ट को कॉन्ट्रैक्ट दिया है. इस पीकदान की खासियत है कि इसे कोई भी शख्स आसानी से अपनी जेब में रख सकता है. इन पा उच की मदद से यात्री बिना किसी दाग के कहीं भी कभी भी थूक सकता है. यानी अब 1200 करोड़ रुपये बर्बाद नहीं होंगे.
कैसे काम करता है ये पाउच?
आपको बता दें कि इन बायोडिग्रेडेबल पाउच को 15-20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है. दरअसल, ये थूक को ठोस पदार्थ में बदल देता है. एक बार पूरी तरह से इस्तेमाल करने के बाद इन पाउचों को मिट्टी में डाल दिया जाता है, जिसके बाद ये पूरी तरह से घुल जाते हैं. यानी इससे प्रदूषण का खतरा भी नहीं राहत है. बता दें कि नागपुर की स्टार्टअप कंपनी ने स्टेशनों पर इन वेंडिंग मशीन को लगाना शुरू कर दिया है. उन्होंने नागपुर नगर निगम और औरंगाबाद नगर निगम के साथ करार किया है


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