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उसका कहना है कि इसका कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और इससे वित्तीय स्थिरता को खतरा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक के क्रिप्टो करेंसी को लेकर रुख से सरकार के इस संपत्ति वर्ग के लिये प्रस्तावित कानून में देरी हो सकती है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के अनुरूप केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) 2022-23 में आएगी.
शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का प्रस्ताव था
RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि देश इस मामले में धीरे-धीरे कदम बढ़ाएगा क्योंकि निजता और इसके मौद्रिक नीति पर प्रभाव को लेकर चिंता है. वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को बजट भाषण में कहा था कि सीबीडीसी 2022-23 में जारी की जाएगी. सरकार की बिटकॉइन जैसे क्रिप्टो करेंसी के लिये 2021 के नवंबर-दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का प्रस्ताव था. लेकिन इसे पेश नहीं किया जा सका.
क्रिप्टो को लेकर RBI का विचार जगजाहिर
पुणे इंटरनेशनल सेंटर के एक कार्यक्रम में पात्रा ने कहा, 'आरबीआई का क्रिप्टो को लेकर विचार जगजाहिर है. मुझे लगता है कि इसी विचार की वजह से इसको लेकर विधेयक लाने में विलंब हुआ है. हम इस पर विस्तार से विचार-विमर्श करेंगे और सभी पहलुओं को देखेंगे.' केंद्रीय बैंक क्रिप्टो करेंसी पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाने के पक्ष में है. उसका कहना है कि इसका कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और इससे वित्तीय स्थिरता को खतरा है.
सीबीडीसी के बारे में पात्रा ने कहा कि थोक मामले में इस प्रकार के उत्पाद हैं, लेकिन खुदरा क्षेत्र के लिये अभी काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हम इस पर धीरे-धीरे कदम बढ़ाएंगे...निजता का मुद्दा है. मौद्रिक नीति का लाभ आगे पहुंचाने का मुद्दा है...' पात्रा ने कहा कि आरबीआई इस मामले में धीरे-धीरे कदम उठा रहा है और सोच-विचार कर निर्णय करेगा.
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