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सरकारी बैंकों की सिर्फ शाखाएं ही कम नहीं हो रही हैं बल्कि लोन देने के कारोबार में भी उनकी हिस्सेदारी कम हो रही है जबकि निजी बैंक इस कारोबार में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए संसद में बिल आए या नहीं, लेकिन देश की बैंकिंग व्यवस्था पहले ही निजीकरण की तरफ बढ़ चुकी है, सरकारी बैंकों की शाखाओं का नेटवर्क देश में घटने लगा है और निजी बैंकों की शाखाओं का जाल फैल रहा है. आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि देश में निजी बैंक शाखाओं का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है और सरकारी बैंकों की शाखाएं घट रही हैं. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार साल 2017 तक देश में बैंक शाखाओं का नेटवर्क पीक पर था और तब से लेकर इस साल सितंबर तक सरकारी बैंक शाखाओं में 4389 की कमी आई है जबकि प्राइवेट बैंकों की शाखाएं 7000 बढ़ गई हैं.
सरकारी बैंकों की सिर्फ शाखाएं ही कम नहीं हो रही हैं बल्कि लोन देने के कारोबार में भी उनकी हिस्सेदारी कम हो रही है जबकि निजी बैंक इस कारोबार में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
जानिए क्यों सरकारी बैंकों से आगे निकले प्राइवेट बैंक
आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2015 तक क्रेडिट मार्केट में निजी बैंकों की हिस्सेदारी सिर्फ 20.8 परसेंट हुआ करती थी जो मार्च 2021 में बढ़कर 35.4 प्रतिशत पर पहुंच गई, दूसरी ओर सरकारी बैंकों को देखें तो मार्च 2015 तक क्रेडिट मार्केट में उनकी हिस्सेदारी 71.6 फीसदी थी जो मार्च 2021 में घटकर 56.5 फीसद रह गई.
क्रेडिट कार्ड के कारोबार में निजी बैंकों का दबदबा
क्रेडिट कार्ड के कारोबार में एक तरह से निजी बैंकों का ही कब्जा नजर आता है, एसबीआई को छोड़ दें तो कोई भी सरकारी बैंक क्रेडिट कार्ड के मार्केट में वैसा कारोबार नहीं कर रहा जैसा निजी बैंक कर रहे हैं.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों को देखें तो इस साल अक्टूबर के अंत तक देश में 6.63 करोड़ क्रेडिट कार्ड ग्राहक दर्ज किए गए हैं. इसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी निजी सेक्टर के HDFC बैंक की है जिसके 1.52 करोड़ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड ग्राहक हैं.
दूसरे नंबर पर स्टेट बैंक है जिसके 1.27 करोड़ ग्राहक हैं, लेकिन तीसरे, चौथे और पांचवें नंबर पर निजी बैंक ही हैं, तीसरे पर 1.20 करोड़ ग्राहकों के साथ आईसीआईसीआई बैंक, चौथे पर 77.34 लाख ग्राहकों के साथ एक्सिस बैंक और पांचवें पर 32.48 लाख ग्राहकों के साथ रत्नाकर बैंक है.
इसके बाद भी नंबर 6 से लेकर नंबर 10 तक या तो कोई निजी बैंक है या फिर कोई विदेशी बैंक, स्टेट बैंक को छोड़ कोई भी सरकारी बैंक क्रेडिट कार्ड मार्केट की हिस्सेदारी में टॉप 10 में नहीं है. कुछ ऐसा ही हाल प्वाइंट ऑफ सेल मशीनों के कारोबार में भी है, स्टेट बैंक और यूनियन बैंक को छोड़ दें तो किसी भी सरकारी बैंक की इस कारोबार में वैसी पकड़ नहीं है जैसी प्राइवेट बैंकों की है.
इस साल अक्टूबर अंत तक देशभर में 51.55 लाख प्वाइंट ऑफ सेल मशीनें दर्ज की गई हैं, इसमें सबसे ज्यादा 9.74 लाख मशीनें एचडीएफसी बैंक की है, फिर दूसरे नंबर पर 8.02 लाख के साथ एक्सिस बैंक, तीसरे पर 7.60 लाख मशीनों के साथ स्टेट बैंक है, चौथे पर 7.59 लाख के साथ आईसीआईसीआई बैंक और पांचवें पर 5.29 लाख मशीनों के साथ रत्नाकर बैंक है.
क्रेडिट कार्ड और प्वाइंट ऑफ सेल मशीनों के बैंकिंग कारोबार पर निजी बैंकों का ही कब्जा नजर आता है, साथ में निजी बैंक तेजी से लोन मार्केट में भी अपना कब्जा जमा रहे हैं, सरकारी बैंक फिलहाल शाखाओं के लिहाज से निजी बैंकों पर हावी हैं, लेकिन जिस तरह से निजी बैंक पूरे बैंकिंग कारोबार पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि भविष्य में बैंक शाखाओं में भी निजी बैंक आगे हो सकते हैं.
Bhumika Sahu
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