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किसानों का नेचुरल फार्मिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. वो किसानों से ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की ओर रुख करने की अपील कर रहे हैं. एक बार वो फिर से ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग पर जोर दे रहे हैं. इसी 16 दिसंबर को वो गुजरात के आणंद में नेचुरल फार्मिंग पर नेशनल कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे. यहां खतरनाक केमिकल (Chemical) से मुक्त खेती के भविष्य का रोडमैप तय करने की कोशिश होगी.
केमिकल मुक्त खेती के लिए लंबे समय से की जा रही प्रधानमंत्री मोदी की अपील रंग लाने लगी है. इस समय देश में ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic farming) से 44 से अधिक लाख किसान जुड़ चुके हैं, जबकि 2003-04 में भारत में महज 76 हजार हेक्टेयर में ही ऐसी खेती हो रही थी. उधर, नेचुरल फार्मिंग के तहत अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया जा चुका है.
आचार्य देवव्रत की दिलचस्पी
इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं. जिनका हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गुरुकुल है, जहां लगभग 200 एकड़ के फार्म में प्राकृतिक खेती होती है. आचार्य ने एक बार कहा था कि जीरो बजट यानी प्राकृतिक खेती ऐसी कृषि पद्धति है जो जमीन की उर्वरता में वृद्धि करती है. यह स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है. प्राकृतिक खेती में पानी की भी खपत कम होती है.
पांच हजार से अधिक किसान रहेंगे मौजूद
आणंद में होने वाले कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती की ताकत पर फोकस किया जाएगा. लोगों को बताया जाएगा कि खेती की यह पद्धति देश के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कैसे कर सकती है. इस कार्यक्रम में पांच हजार से अधिक किसान मौजूद रहेंगे. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से संबंधित 85 केंद्रीय संस्थान और 600 कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) इस आयोजन में शिरकत कर रहे हैं. इस मौके पर गुजरात में प्राकृतिक खेती की पहल पर एवं शॉर्ट मूवी दिखाई जाएगी. आपको बता दें कि प्राकृतिक खेती का कांसेप्ट महाराष्ट्र निवासी सुभाष पालेकर ने दिया है.
एग्री इनपुट पर निर्भरता कम करने की कोशिश
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि हमारी उभरती समस्याओं के समाधान की तलाश में किसानों ने भी योगदान दिया है और नई रणनीतियां बनाई हैं. ऐसी रणनीतियों के बीच प्राकृतिक खेती को प्रमोट किया जा रहा है. जिससे कृषि इनपुट पर किसानों की निर्भरता को किया जा सके. प्राकृतिक खेती से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. इसके लिए देसी गाय का गोबर और और गोमूत्र इनपुट है. जिनसे बीजामृत, जीवामृत और घनजीवमृत जैसे एग्रीकल्चर इनपुट तैयार किए जा रहे हैं.
यहां होती है सबसे ज्यादा प्राकृतिक खेती
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा प्राकृतिक खेती हो रही है. जहां एक लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र इसके दायरे में आ चुका है. यहां पर लगभग सवा पांच लाख किसान ऐसी खेती कर रहे हैं. इसी तरह मध्य प्रदेश में 99000 हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 85000 हेक्टेयर, केरल में 84000 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती हो रही है. उधर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु आदि में भी इस पर जोर दिया जा रहा है.
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Gulabi
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