व्यापार

खाद्य तेलों के दामों में पिछले एक साल में 30 फीसदी की बढ़ोतरी, सरकार के लिए बना चिंता का कारण

Triveni
20 Nov 2020 12:58 PM GMT
खाद्य तेलों के दामों में पिछले एक साल में 30 फीसदी की बढ़ोतरी, सरकार के लिए बना चिंता का कारण
x
खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. खाद्य तेलों की कीमतों से किचन का खर्च बढ़ता जा रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. खाद्य तेलों की कीमतों से किचन का खर्च बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही यह सरकार के लिए भी चिंता का कारण बनती जा रही हैं. मूंगफली, सरसों, वनस्पति, सूरजमुखी, सोयाबीन और पॉम ऑयल सहित सभी खाद्य तेलों की औसत कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. पॉम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले 20 से 30 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है. खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी से लोगों की जेब पर बोझ बढ़ गया है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल के आंकड़ों के अनुसार, सरसों के तेल की औसत कीमत गुरुवार को 120 रुपये प्रति लीटर थी. वहीं, एक साल पहले यह 100 रुपये प्रति लीटर थी. इसी तरह वनस्पति तेल की औसत कीमत बढ़कर 102.5 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जो एक साल पहले 75.25 रुपये प्रति किलोग्राम थी

सोयाबीन तेल की मॉडल कीमत 110 रुपये प्रति लीटर है, जबकि एक साल पहले यह कीमत 90 रुपये प्रति लीटर थी. पाम ऑयल और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में भी एक साल पहले की तुलना में इसी तरह बढ़ोतरी हुई है

इससे पहले प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी ने जनता को परेशान किया था, लेकिन अब प्याज की कीमतों में गिरावट आई है. प्याज की कीमतों में यह गिरावट करीब 30,000 टन प्याज का आयात करने के बाद देखी गई. इसके अलावा आलू की कीमतें भी अब स्थिर हो गई है, लेकिन खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि जारी है.

खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि का बड़ा कारण पिछले छह महीनों से मलेशिया में पाम ऑयल के उत्पादन में कमी आना है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, सरकार अगर पाम ऑयल पर आयात शुल्क को कम कर दे, तो पाम ऑयल की कीमतों में गिरावट आ सकती है और इसका सीधा असर अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ेगा.

Next Story