टैक्स चोरी से लेकर मनी लांडिंग तक में शामिल चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के लिए उत्पादन की सीमा तय की जा सकती है। इतना ही नहीं चीन की फोन निर्माता कंपनियों पर 10 से 12 हजार रुपये तक के फोन बनाने पर रोक लग सकती है ताकि घरेलू मोबाइल कंपनियों को प्रोत्साहन किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक चीन की मोबाइल फोन कंपनियां फोन निर्माण में पारदर्शी रवैया नहीं अपना रही है, जिससे सरकार को राजस्व को नुकसान हो रहा है और घरेलू फोन निर्माता कंपनियां इनसे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही है।
80 फीसदी स्मार्टफोन मार्केट पर चीन का कब्जा
काउंटरप्वाइंट की रिपोर्ट के मुताबिक देश में एक तिहाई से अधिक 12,000 रुपये से कम दाम के स्मार्टफोन बिकते हैं और इनमें से 80 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की फोन निर्माता कंपनियों की है। इस सेगमेंट में चीन की कंपनियों पर रोक लगने से लावा, माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियों को काफी फायदा हो सकता है। चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के भारत में प्रवेश से पहले घरेलू स्तर पर इन दोनों कंपनियों की सबसे अधिक हिस्सेदारी थी। सूत्रों के मुताबिक सरकार के इस प्रस्ताव से एपल और सैमसंग के उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सैमसंग भी काफी कम संख्या में 12,000 रुपये से कम दाम के फोन बनाती है।
किसका कितना मार्केट शेयर
अगर टॉप-5 स्मार्टफोन मार्केट की बात करें, तो सैमसंग को छोड़ दें, तो टॉप-5 पोजिशन में चीनी कंपनियों का कब्जा है। Xiaomi भारत की सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी बनकर उभरी है।
Xiaomi - 25.1 फीसद
Samsung - 17.4 फीसद
Vivo - 15.6 फीसद
Realme - 15 फीसद
Oppo - 11.1 फीसद
चीनी कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी
पिछले एक साल में भारत में फोन बनाने वाली चीन की कंपनियां शाओमी, ओप्पो, वीवो जैसी प्रमुख कंपनियों के ठिकानों पर भारतीय जांच एजेंसियों ने छापेमारी की कार्रवाई की है। छापेमारी के दौरान इन कंपनियों की गतिविधियां संदिग्ध पाई गई हैं, जिसकी आगे जांच की जा रही है।