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प्री-बजट मीटिंग चलेंगी नवंबर के दूसरे हफ्ते तक, जानें कब से है बैठक

Gulabi
21 Sep 2021 9:39 AM GMT
प्री-बजट मीटिंग चलेंगी नवंबर के दूसरे हफ्ते तक, जानें कब से है बैठक
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केंद्रीय बजट सूचना प्रणाली

वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) 2022-23 के लिए वार्षिक बजट 12 अक्टूबर से तैयार करने की कवायद शुरू करेगा. अगले वर्ष के बजट में मांग सृजन, रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को निरंतर 8 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के रास्ते पर रखने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना होगा. यह 2019 में दूसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद केन्द्र सरकार का चौथा बजट और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का भी चौथा बजट होगा,


आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग के 16 सितंबर 2021 की तारीख वाले बजट सर्कुलर (2022-23) के अनुसार, बजट पूर्व/आरई (संशोधित अनुमान) बैठकें 12 अक्टूबर 2021 से शुरू होंगी. सर्कुलर के मुताबिक, सभी वित्तीय सलाहकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिशिष्ट एक से सात में निहित इन बैठकों से संबंधित जरूरी विवरण यूबीआईएस (केंद्रीय बजट सूचना प्रणाली) के आरई मॉड्यूल में दर्ज किए गए हैं.

नवंबर के दूसरे सप्ताह तक चलेगा प्री-बजट बैठक
व्यय सचिव द्वारा अन्य सचिवों और वित्तीय सलाहकारों के साथ चर्चा पूरी करने के बाद 2022-23 के बजट अनुमानों (BE) को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमें कहा गया कि बजट पूर्व बैठकें 12 अक्टूबर से शुरू होंगी और नवंबर के दूसरे सप्ताह तक जारी रहेंगी. सर्कुलर के अनुसार, इस वर्ष की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए, अंतिम बजटीय आवंटन का आधार समग्र वित्तीय स्थिति होगा और यह मंत्रालय/विभाग की अवशोषण क्षमता के अधीन होगा.
1 फरवरी 2022 को पेश होगा आम बजट
यूनियन बजट 2022-23, 1 फरवरी, 2022 को पेश किया जाएगा. मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार ने फरवरी के अंत में बजट पेश करने की ब्रिटिश कालीन परंपरा को समाप्‍त कर दिया है. तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने पहली बार 1 फरवरी, 2017 को बजट पेश किया था. बजट को पहले पेश करने के साथ ही मंत्रालयों को अब बजट में आवंटित उनके फंड को वित्‍तीय वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल में ही दे दिया जाता है.
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटे को 6.8 प्रतिशत पर काबू में रखने का लक्ष्य पटरी पर है, लेकिन विकास को गति देने के लिए उसे पूंजीगत व्यय बढ़ाना होगा. जबकि अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 20.1 फीसदी बढ़ी, स्थिर कीमतों पर जीडीपी अभी भी वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही की तुलना में 9.2 फीसदी कम थी, जो कि एक पूर्व-कोविड अवधि थी.
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