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PPF अकाउंट पोस्ट ऑफिस में भी खोल सकते हैं, जाने सेफ रहेगा आपका पैसा
Bhumika Sahu
3 Jan 2022 2:29 AM GMT
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पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम्स में पब्लिक प्रोविडेंट फंड या PPF भी शामिल है. आइए इस स्कीम के बारे में डिटेल में जानते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप आने वाले दिनों में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पोस्ट ऑफिस की सेविंग्स स्कीम्स में कर सकते हैं. इन स्कीम्स में आपको अच्छा रिटर्न तो मिलता ही है. साथ में, इसमें निवेश किया गया पैसा भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है. अगर बैंक डिफॉल्ट होता है, तो आपको पांच लाख रुपये की ही राशि वापस मिलती है. लेकिन डाकघर में ऐसा नहीं है. इसके अलावा पोस्ट ऑफिस की सेविंग्स स्कीम्स में बेहद कम राशि से निवेश शुरू किया जा सकता है.
पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम्स में पब्लिक प्रोविडेंट फंड या PPF भी शामिल है. आइए इस स्कीम के बारे में डिटेल में जानते हैं.
ब्याज दर
पोस्ट ऑफिस की पीपीएफ स्कीम में मौजूदा समय में सालाना 7.1 फीसदी की ब्याज दर मौजूद है. ब्याज को सालाना आधार पर कंपाउंड किया जाता है. ब्याज दर 1 अप्रैल 2020 से लागू है.
निवेश की राशि
डाकघर की पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ स्कीम में एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है. जमा को एकमुश्त राशि या किस्तों में किया जा सकता है.
मैच्योरिटी
पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में अकाउंट 15 वित्त वर्षों के बाद मैच्योर हो जाएगा. इसमें अकाउंट खोलने का वित्त वर्ष शामिल नहीं होगा. मैच्योरिटी पर जमाकर्ता के पास ये विकल्प मौजूद है:
व्यक्ति संबंधित पोस्ट ऑफिस में पासबुक के साथ अकाउंट बंद कराने का फॉर्म जमा करके मैच्योरिटी का भुगतान ले सकता है.
व्यक्ति अपने अकाउंट में मैच्योरिटी की राशि को रखे रहने देकर आगे बिना किसी जमा के उसे जारी रख सकता है. ऐसे में, पीपीएफ की ब्याज दर लागू रहेगी और भुगतान किसी भी समय लिया जा सकेगा. या व्यक्ति प्रत्येक वित्त वर्ष में एक विद्ड्रॉल कर सकेगा.
इसके अलावा व्यक्ति 5 साल की अवधि या आगे भी अकाउंट को बढ़ा सकता है. इसे मैच्योरिटी के एक साल के भीतर बढ़ाना होगा. ऐसा करने के लिए व्यक्ति को संबंधित पोस्ट ऑफिस में उपयुक्त फॉर्म जमा करना होगा.
मैच्योरिटी से पहले बंद करना
अकाउंट को मैच्योरिटी से पहले बंद करने की सुविधा साल के आखिर से 5 साल के बाद मिलती है. खाताधारक, उसके जीवनसाथी या बच्चे को जीवन घातक बीमारी हो जाने पर ऐसा किया जा सकता है. इसके अलावा खाताधारक या निर्भर बच्चे की उच्च शिक्षा की स्थिति में यह किया जा सकता है. खाताधरक के निवासीय स्थिति में बदलाव होने पर यह किया जा सकता है.
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