जनता से रिश्ता बेवङेस्क | सब्जियों के राजा आलू की नई फसल खेतों से निकलनी शुरू हो गई है. इसलिए इसका दाम जमीन पर आ गया है. देश के सबसे बड़े आलू बेल्ट यूपी में इसका रेट 6-7 रुपये किलो तक पहुंच गया है. दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में इसका रिटेल प्राइस (Potato price) 10 रुपये किलो तक चुका है. जबकि, इस बार डीजल, खाद और बीज का दाम बढ़ने से किसानों की लागत बहुत आई थी. इस बीच रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमानों ने भी किसानों की नींद उड़ा दी है. इसकी वजह से आलू सस्ता होने की उम्मीद है. हालांकि, सरकार कह रही है कि किसान चिंता छोड़कर अपनी उपज कोल्ड स्टोर में रखें और अच्छा दाम होने पर बेचें.
नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड के मुताबिक 1 मार्च को लखनऊ में आलू का मॉडल प्राइस 615 रुपये क्विंटल था. शिमला में 1400 जबकि वाराणसी में 800 रुपये क्विंटल था. चंडीगढ में 600 और देहरादून में 650 रुपये का भाव था. जबकि ऑनलाइन मंडी ई-नाम (e-NAM) पर पंजाब की जालंधर मंडी में इसका मॉडल प्राइस 520 रुपये रहा. मुरादाबाद मंडी में 385 से 510 रुपये क्विंटल पर बिक्री हुई. यह किसानों की लागत से भी कम दाम है. जबकि अक्टूबर-नवंबर 2020 में आलू 50-55 रुपये किलो तक पहुंच गया था.
आलू पर कितनी आती है लागत?
मशहूर आलू वैज्ञानिक और कूच बिहार पश्चिम बंगाल स्थित उत्तर बंगा कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. एसके चक्रवर्ती ने टीवी-9 डिजिटल को बताया कि इसकी प्रति क्विंटल उत्पादन लागत लगभग 700-800 रुपये आती है. भारत में इस समय आलू की खपत 50 मिलियन टन के आसपास है. इसी के आसपास ही उत्पादन भी है. कोई किसान 1 हेक्टेयर में 50 क्विंटल तक आलू पैदा करता है और कोई 25 पर ही रह जाता है. जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 28-30 क्विंटल है. इसी हिसाब से अलग-अलग किसानों की लागत भी अलग-अलग हो सकती है.
कौन सुनेगा किसानों का दर्द
हालांकि, आलू उत्पादक किसान समिति आगरा मंडल के महासचिव आमिर चौधरी का कहना है इस साल आलू पैदा करने की लागत प्रति क्विंटल करीब 1200 रुपये आई है. क्योंकि 2020 में बीज का दाम अपने उच्चतम स्तर 60 रुपये किलो तक था. खाद का रेट भी काफी बढ़ गया है. पिछले साल के मुकाबले 18-20 रुपये प्रति लीटर डीजल का रेट (Diesel Price) बढ़ गया है. ऐसे में सरकार इसकी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करे, वो भी कम से कम 1400 रुपये क्विंटल, वरना किसान बर्बाद हो जाएगा.
इस साल आलू उत्पादन पर सबसे ज्यादा आई है लागत.
कितनी है भंडारण क्षमता?
उत्तर प्रदेश के उद्यान निदेशक डॉ. आरके तोमर ने हमसे बातचीत में बताया कि प्रदेश में इस वर्ष 160 लाख मिट्रिक टन आलू उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है. जबकि पिछले साल 140 लाख मिट्रिक टन था. किसानों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है. हमारे पास 1919 कोल्ड स्टोर (Cold Storage) हैं, जिनकी 155 लाख मिट्रिक टन भंडारण की क्षमता है. इसलिए किसान अधिक से अधिक आलू कोल्ड स्टोर में रखें और अच्छा दाम होने पर बाहर निकालें. 2020 में उत्तर प्रदेश में 98 लाख मिट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरों में रखा गया था. इसे इस साल बढ़कर 120 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है.
कितनी है पैदावार?
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में 22 लाख हेक्टेयर भूमि में किसान आलू की पैदावार कर रहे हैं. 2019-20 में 508.57 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था. जिसमें सबसे ज्यादा 27.54 फीसदी हिस्सेदारी यूपी, 25.88 फीसदी पश्चिम बंगाल एवं 15.16 परसेंट बिहार की रही थी.
भारत से आलू का एक्सपोर्ट
कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) के एक अधिकारी ने बताया कि कुल उत्पादन का करीब आधा 214.25 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था. 2020 में जनवरी से जून तक भारत ने 1,47,009 टन आलू का निर्यात करके 262.98 करोड़ रुपये कमाए. जबकि 2019 में हमने 4,32,895 टन आलू का एक्सपोर्ट करके 547.14 करोड़ रुपये कमाए थे.