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PLI Scheme देश के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम, क्या है पीएलआई स्कीम?
Shiddhant Shriwas
4 Oct 2021 5:36 AM GMT
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रोजगार निर्माण में PLI Scheme का बहुत बड़ा असर होने वाला है. इंडस्ट्री को प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में तो लाभ होगा ही,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार कई स्तर से प्रयास कर रही है. लगभग हर सेक्टर में सरकार की यही कोशिश है कि कंपनी देसी हो या विदेशी.. प्रॉडक्शन देश में ही किया जाए. इसके कई फायदे हैं. देश को आत्मनिर्भर बनाना है, इसके लिए जरूरी है कि आयात कम हो और देश में ही सामानों का उत्पादन बढ़ाया जाए.
देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और वर्क फोर्स को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार कई अलग-अलग सेक्टर में पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम की शुरुआत की है. आइए जानते हैं क्या है पीएलआई स्कीम, देश को आत्मनिर्भर बनाने में कैसे मददगार है और इसके क्या फायदे हैं.
क्या है पीएलआई स्कीम?
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए, केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में एक पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है. देश में पीएलआई स्कीम के लिए 13 क्षेत्रों का चुनाव किया गया है. जिसके तहत सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को 1.97 लाख करोड़ का अलग-अलग मद में प्रोत्साहन देगी. भारत में विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है.
बजट में पीएलआई स्कीम से जुड़ी योजनाओं के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. प्रोडक्शन का औसतन 5 प्रतिशत इंसेंटिव के रूप में दिया गया है. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ पीएलआई स्कीम के द्वारा ही आने वाले 5 सालों में लगभग 520 बिलियन डॉलर यानी 3,85,55,40,00,00,000 रुपये का प्रोडक्शन भारत में होने का अनुमान है. इसके अलावा जिन सेक्टर के लिए पीएलआई योजना बनाई गई है, उन सेक्टर में अभी जितनी वर्क फोर्स काम कर रही है, वो करीब-करीब दोगुनी हो जाएगी.
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
रोजगार निर्माण में पीएलआई योजना का बहुत बड़ा असर होने वाला है. इंडस्ट्री को तो प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में तो लाभ होगा ही, देश में आय बढ़ने से जो डिमांड बढ़ेगी, उसका भी लाभ होगा, यानि दोगुना फायदा. वहीं इस स्कीम का एक व्यापक असर देश की MSME सेक्टर पर होने वाला है. दरअसल, हर सेक्टर में जो सहायक यूनिट बनेंगे, उनको पूरी वैल्यू चेन में नए सप्लायर बेस की जरूरत होगी. ये जो सहायक यूनिट होंगे, ज्यादातर MSME सेक्टर में ही बनेंगी. MSME को ऐसे ही अवसरों के लिए तैयार करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है.
इन सेक्टर्स का चयन
इस योजना को ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, ह्वाइट गुड्स इंडस्ट्री, रासायनिक सेल, टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्ट्स और सोलर फोटोवॉल्टिक सेक्टर सहित आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्रों के लिए भी अनुमोदित किया गया है.
किन सेक्टर्स में कितना निवेश किया जाएगा?
चिकित्सा उपकरणों का निर्माण और फार्मास्यूटिकल्स विभाग 3420 करोड़ रुपये
मोबाइल विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के लिए 40951 करोड़ रुपये
पीएलआई स्कीम के तहत ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट को 57,000 करोड़ रुपये
फार्मा एंड ड्रग सेक्टर के लिए 15 हजार करोड़ रुपये
टेलीकॉम नेटवर्क एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 12,000 करोड रुपये
टेक्सटाइल के लिए 10683 करोड़ रुपये
फूड प्रोडक्ट्स सेक्टर के लिए 10900 करोड़ रुपये
सोलर फोटोवॉल्टिक सेक्टर के लिए 4500 करोड़ रुपये
व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी) में 6238 करोड़ रुपये
स्पेशलिटी स्टील मिनिस्ट्री ऑफ स्टील 6322 करोड़ रुपये
एडवांस केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी 18100 करोड़ रुपये
इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद 5000 करोड़ रुपये
फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में 6940 करोड़ रूपये
किस तरह होंगे फायदे?
पीएलआई योजना भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करेगी. हमारी दवाइयां, वैक्सीन, गाड़ियां, फोन आदि हमारे देश में ही बनें इस दिशा में पीएलआई स्कीम बड़ा कदम माना जा रहा है. मार्च में पीएम मोदी ने पीएलआई स्कीम के बारे में बताते हुए कहा था कि पिछले साल मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए PLI स्कीम लॉन्च की थी. कोरोना काल के दौरान भी इस सेक्टर में बीते साल 35 हजार करोड़ रुपए का प्रोडक्शन हुआ. यही नहीं, कोरोना के इस कालखंड में भी इस सेक्टर में करीब-करीब 1300 करोड़ रुपए का नया इनवेंस्ट आया हुआ है. इससे हजारों नई जॉब्स इस सेक्टर में तैयार हुई हैं.
सरकार मेड इन इंडिया के जरिए प्रोडक्शन को बढ़ाने पर जोर दे रही है. इससे न सिर्फ सामान देश में बन कर मिलेंगे, बल्कि रोजगार भी बढ़ेगा. हाल ही में सरकार ने टेक्निकल और मैन मेड फाइबर के आयात को कम करने के लिए भारत में ही इन फाइबर के प्रोडक्शन के लिए टेक्सटाइल क्षेत्र में पीएलआई स्कीम ले कर आई है. खास बात ये है कि पीएलआई स्कीम के कई क्षेत्र ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों पर फोकस कर रहे हैं. टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग का क्षेत्र ऐसा ही है.
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