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Petrol/Diesel: पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर राजकोषीय घाटे के लिए बढ़ जाएगा जोखिम, सरकार को लेनी होगी ज्यादा उधारी

Tulsi Rao
24 May 2022 4:26 AM GMT
Petrol/Diesel: पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर राजकोषीय घाटे के लिए बढ़ जाएगा जोखिम, सरकार को लेनी होगी ज्यादा उधारी
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Fiscal Deficit Likely To Increase: पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने के केंद्र सरकार (Modi Government) के फैसले से राजकोषीय घाटे पर दबाव पड़ेगा और इसके 6.4% के लक्ष्य से पीछे रह जाने की आशंका है. विशेषज्ञों ने सोमवार को यह आशंका (Risk) जताई.

राजकोषीय घाटे के लिए बढ़ जाएगा जोखिम
सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है. इससे सरकारी खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से सरकार को मिलने वाले लाभांश के बजट अनुमान से कम रहने और खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी (Food and Fertilizer Subsidy) पर अतिरिक्त व्यय करने की जरूरत को देखते हुए राजकोषीय घाटे के लिए जोखिम बढ़ जाएगा.
इक्रा ने क्या कहा?
इक्रा (ICRA) ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6.5% रह सकता है जबकि इसका बजट अनुमान 6.4% का है.' अगर ऐसा होता है तो वह राजकोषीय घाटे में क्रमिक रूप से कमी लाने के लक्ष्य के उलट होगा. सरकार ने राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को वर्ष 2025-26 तक 4.5% के नीचे लाने का लक्ष्य रखा है. एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च की मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी (Suman Choudhary) ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती के अलावा इस्पात उत्पादों (Steel Products) पर आयात-निर्यात की दरों में बदलाव करने से भी राजकोषीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
सरकार को लेनी होगी ज्यादा उधारी
सुमन चौधरी ने कहा कि आगे चलकर स्थिति बिगड़ सकती है जिससे सरकार को ज्यादा उधारी लेनी होगी. बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च (Bank of America Global Research) की एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि सरकार की तरफ से पिछले कुछ दिनों में उठाए गए कदमों से राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ेगा. इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा 0.40-0.50% तक बढ़ सकता है.


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