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मोबाइल वॉलेट से Payment की लिमिट हुई दोगुनी, अब इतनी कर पाएंगे पेमेंट

Neha Dani
8 April 2021 5:28 AM GMT
मोबाइल वॉलेट से Payment की लिमिट हुई दोगुनी, अब इतनी कर पाएंगे पेमेंट
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2020 में केनरा बैंक ने 2 से 10 साल वाली एफडी पर ब्‍याज दर को बढ़ाया था। 8 जनवरी से एसबीआई ने ब्‍याज को बढ़ाया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली मौद्रिक समीक्षा में बुधवार को अहम फैसला लिया। आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों जैसे पेटीएम-फोनपे जैसे के लिए लिमिट को बढ़ाकर दोगुनी कर दिया। यानी अब वॉलेट में 1 लाख रुपये की जगह 2 लाख रुपये रखने की सुविधा उपभोक्तओं को मिलेगी। इसके साथ ही फिनटेक कंपनियों, पेमेंट कंपनियों को सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम्स- आरटीटीएस और एनईएफटी का हिस्सा बनने के लिए मंजूरी दे दी। इसका मतलब यह हुआ कि अब डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए फंड ट्रांसफर की सुविधा दे सकेंगी।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एलान किया कि ये सुविधा अब नॉन बैंकिग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे। मालूम हो कि आरटीजीएस और एनईएफटी एक सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम है। लेकिन, अब नॉन-बैंक पेमेंट सिस्टम तक भी यह सुविधा दी जाएगी। यह प्रीपेड पेमेंट इस्ट्रूमेंट, कार्ड नेटवर्क्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स, आदि तक बढ़ाई जा चुकी है। आरबीआई ने कहा कि इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। इससे पहले छह जून 2019 को आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए आरटीजीएस व एनईएफटी को निशुल्क कर दिया था। सभी बैंकों में यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है।
जल्द ही नकदी निकाल सकेंगे
जल्द ही आप पेटीएम, मोबिक्विक जैसे डिजिटल वॉलेट और नॉन-बैंक एंटिटीज के प्रीपेड कार्ड से कैश निकाल सकेंगे। आरबीआई ने अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में कहा किकि वह नॉन-बैंक एंटिटीज से कैश निकालने की अनुमति देगा। शर्त यह है कि ग्राहक ने केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की हो। अभी कैश निकालने की इजाजत सिर्फ बैंकों से जारी केवाईसी कम्प्लायंट पीपीआई (क्रेडिट/डेबिट कार्ड) को है। पीपीआई का मतलब प्रीपेड पेमेंट इंस्‍ट्रूमेंट से होता है. फॉरेक्स कार्ड, डिजिटल वॉलेट इत्‍यादि पीपीआई के कुछ उदाहरण हैं।
लोन की ईएमआई नहीं घटेगी, एफडी पर राहत
आरबीआई ने मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में बदलाव करने नहीं करने का फैसला किया। इसके चलते होम-कोर लोन की ईएमआई और कम होने का इंतजार कर रहे लोगों को जरूर झटका लगा है। वहीं, एफडी कराने वाले निवेशकों को जरूर राहत मिली है। अगर ब्याज दर में कटौती होती है तो बैंक एफडी पर ब्याज दर घटाते। इसका असर सबसे अधिक वरिष्ठ नागरिकों पर होता। पिछले कुछ महीनों में कई बैंकों ने लंबी अवधि के एफडी पर ब्‍याज दर बढ़ाना शुरू किया था। उदाहरण के लिए दिसंबर 2020 में केनरा बैंक ने 2 से 10 साल वाली एफडी पर ब्‍याज दर को बढ़ाया था। 8 जनवरी से एसबीआई ने ब्‍याज को बढ़ाया है।


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