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ऑटो सेक्टर (Auto Sector) के लिए फरवरी का महीने बहुत बुरा रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडस्क | ऑटो सेक्टर (Auto Sector) के लिए फरवरी का महीने बहुत बुरा रहा है. चिप शॉर्टेज (Chip shortage) के कारण फरवरी महीने में डोमेस्टिक पैसेंजर व्हीकल (Passenger Vehicles) की रिटेल बिक्री में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. ऑटोमोबाइल डीलर बॉडी FADA के मुताबिक, फरवरी महीने में कुल 238096 यूनिट पैसेंजर व्हीकल्स बेचे गए. फरवरी 2021 में सभी कंपनियों ने डोमेस्टिक मार्केट में 258337 यूनिट पैसेंजर व्हीकल बेची थीं. फाडा के मुताबिक, पिछले महीने वाहनों की कुल रिटेल बिक्री में सालाना आधार पर 9.21 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. फरवरी 2020 के मुकाबले इसमें 20.65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, तीन पहिया और कमर्शियल व्हीकल की बिक्री में फरवरी में तेजी रही.
तीन पहिया वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 16.64 फीसदी की और कमर्शियल व्हीकल की बिक्री में 7.41 फीसदी के तेजी दर्ज की गई. दोपहिया वाहनों की बिक्री में 10.67 फीसदी, पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में 7.84 फीसदी और ट्रैक्टर की बिक्री में 18.87 फीसदी की सालाना गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूरल इकोनॉमी पर कोरोना का गंभीर असर हुआ है. लोगों के पास पैसे नहीं है और दूसरी तरह कीमतें बढ़ गई हैं. ऐसे में दोपहिया वाहनों की बिक्री पर दबाव बना रहेगा.
महंगा तेल ऑटो सेक्टर की नई चुनौती
इस रिपोर्ट के मुताबिक, पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में मांग बनी रहेगी. हालांकि, चिप शॉर्टेज के कारण इस सेगमेंट की बिक्री पर असर देखा जा रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच विवाद बढ़ने के कारण कच्चा तेल इस समय 10 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है और 110 डॉलर प्रति बैरल के पार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल में तेजी ऑटो सेक्टर के सामने नई और गंभीर चुनौती है.
FADA की रिपोर्ट क्या कहती है?
FADA की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी महीने में केवल तीन पहिया वाहन, कमर्शिय व्हीकल और हेवी कमर्शियल व्हीकल की बिक्री में तेजी रही. सबसे ज्यादा ट्रैक्टर में और फिर दो पहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट रही है. इससे साफ पता चलता है कि रूरल इकोनॉमी की हालत बहुत ज्यादा खराब है. रूरल इकोनॉमी के लिए वाहनों में इस कैटिगरी की बिक्री संकेतक के रूप में काम करते हैं.
रूस -यूक्रेन क्राइसिस से चिप शॉर्टेज बढ़ेगी
फाडा के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी ने कहा कि जब तक रूस और यूक्रेन के बीच विवाद जारी रहेगा, ऑटो सेक्टर की चुनौती बनी रहेगी. इसकी बड़ी वजह है कि चिप शॉर्टेज बनी रहेगी. रूस पैलेडियम का सबसे बड़ा उत्पादक है. सेमी कंडक्टर के निर्माण में इस मटीरियल का इस्तेमाल होता है. पैलेडियम क्राइसिस के कारण ऑटो सेक्टर के लिए चिप शॉर्टेज की समस्या बरकरार रहेगी. यूक्रेन नियॉन गैस (Neon Gas) का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर और एक्सपोर्टर है. इसका निर्माण भी चिप के निर्माण में किया जाता है.
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