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Vodafone को संकट से बाहर लाने के लिए, SBI ने बताया यह मास्टर प्लान

Shiddhant Shriwas
9 Aug 2021 10:34 AM GMT
Vodafone को संकट से बाहर लाने के लिए, SBI ने बताया यह मास्टर प्लान
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बैंकों ने पहले भी बैड लोन को इक्विटी में बदला है. वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में ब्रिटेन स्थित वोडाफोन की 45 फीसदी हिस्सेदारी है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई वाले बैंकों के एक समूह ने दूरसंचार विभाग (DoT) को बताया कि तनावग्रस्त दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea limited) के कर्ज को इक्विटी में बदलना कंपनी को संकट से बाहर निकालने का एक विकल्प हो सकता है.

31 मार्च 2021 तक वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पर ग्रॉस डेट 1.8 लाख करोड़ रुपए का था. एसबीआई समेत आठ बैंकों का हजारों करोड़ कंपनी पर बकाया है. नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक, IDFC First Bank, YES Bank और IndusInd Bank का लोन एक्सपोजर सबसे ज्यादा है. एसबीआई ने सबसे ज्यादा 11 हजार करोड़ का लोन दिया है. आईडीएफसी बैंक का बकाया 3240 करोड़, यस बैंक का 4000 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 3000 करोड़, एक्सिस बैंक का 1300 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक का 1700 करोड़ और एचडीएफसी बैंक का 1000 करोड़ बकाया है.
AGR बकाए को लेकर हुई थी चर्चा
DOT ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सहित दूरसंचार कंपनियों द्वारा देय समायोजित सकल राजस्व (AGR) से संबंधित बकाया पर उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को बुलाया था. सुप्रीम कोर्ट ने 93,520 करोड़ रुपए के AGR बकाया राशि का भुगतान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 10 साल का वक्त दिया है.
बैंकों ने बताया कि यह स्थाई समाधान नहीं
बैंक अधिकारियों ने डॉट के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी बताया कि वीआईएल के लोन को इक्विटी में बदलना एक विकल्प है, लेकिन ये स्थाई समाधान नहीं है. सूत्रों ने कहा कि चूंकि वीआईएल ने अब तक अपने लोन के भुगतान में चूक नहीं की है, इसलिए वे फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं.
VIL में वोडाफोन की हिस्सेदारी 45 फीसदी
बैंकों ने अतीत में कई तनावग्रस्त कंपनियों के लोन को इक्विटी में बदला है. सूत्रों के मुताबिक बैंकरों ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में प्रवर्तकों द्वारा पूंजी निवेश सबसे अच्छा विकल्प है. वीआईएल में ब्रिटेन स्थित वोडाफोन की 45 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि आदित्य बिड़ला समूह की 27 फीसदी हिस्सेदारी है. वीआईएल के असफल होने की स्थिति में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लोनदाताओं को 1.8 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है.
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