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नई विधि से बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है पपीता की खेती
Apurva Srivastav
17 May 2021 12:49 PM GMT
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पपीता को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है
पपीता को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. इसमें मौजूद तरह-तरह के विटामिन्स और एंजाइम इसकी गुणवत्ता को कई गुना तक बढ़ा देते हैं. यहीं कारण है कि इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है. कच्चे पपीता को सब्जी के रूप में और पके पपीता को फल के रूप में इस्तेमाल करने की परंपरा रही है. अब यह पपीता एक बड़े समूह के लिए आय का अच्छा जरिया बन गया है.
पपीता के जरिए झारखंड में जनजातीय समूहों के लोगों की जिंदगी में बड़े स्तर पर बदलाव आ रहा है. कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विज्ञान केंद्र मिलकर इसे आय का स्रोत बनाने पर काम कर रहे हैं. अभी छोटे स्तर पर ही इसकी व्यावसायिक खेती हो रही है, लेकिन आने वाले समय में इसे बड़े पैमाने पर करने की तैयारी की जा रही है.
दरअसल, झारखंड के जनजातीय समूह के लोगों के घर के पीछे पपीते का दो-चार पेड़ वर्षों से लगता रहा है. वे इससे फल और सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. अगर कहा जाए कि वहां के ग्रामीण जीवन में यह रचा-बसा है तो गलत नहीं होगा. हालांकि अभी तक इसकी खेती पारंपरिक तरीके से ही हो रही है. अब वैज्ञानिकों की इस पर नजर गई है और वे किसानों को नई विधि से खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
2018-19 में हुई थी शुरुआत
डीडी किसान की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक तरीके से व्यावसायिक रूप से पपीता की खेती करने की शुरुआत 2018-19 में राजधानी रांची, गुमला और लोहरदगा से की गई. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर किसानों को ट्रेनिंग भी दी गई. रांची स्थित कृषि प्रणाली अनुसंधान केंद्र ने इस काम में अहम भूमिका निभाई.
सरकारी एजेंसियों की कोशिश थी कि पपीते की खेती से किसानों की आय बढ़ाई जाई. इसके लिए गैर सरकारी संगठनों से भी मदद ली गई. कई दौर का प्रशिक्षण कार्यक्रम चला और शुरुतआ में ही 1300 किसानों ने ट्रेनिंग लेकर काम शुरू कर दिया. बड़ी मात्रा में पपीते के पौधे लगाए गए. पारंपरिक तरीके से पपीते की खेती की तुलना में उत्पादन में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई.
पपीते की वैज्ञानिक तरीके से खेती होने लगी तो किसानों को काफी लाभ पहुंचने लगा. अन्य किसान भी इसकी तरफ आकर्षित हुए. धीरे-धीरे कर के अब बड़ी संख्या में किसान पपीता की खेती करने लगे हैं. इससे उनके आय में वृद्धि हुई है. पहले आमदनी 1200 रुपए होती थी जो अह 1 लाख 75 हजार रुपए तक पहुंच गई है.
खेती करने वालों की संख्या बढ़ी तो पौधे से लेकर अन्य चीजों की जरूरत भी बढ़ती गई. इसे देखते हुए कुछ किसान नर्सरी में पौधे उगाने लगे और इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई हुई. इस अभियान की सफलता को देखकर सरकार अब केंद्र और राज्य की योजनाओं से भी किसानों को लाभ पहुंचाकर पपीते की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. झारखंड से बड़ी संख्या में श्रमिक अन्य राज्यों में नौकरी की तलाश में जाते हैं. अब उम्मीद जग रही है कि पपीते की खेती को मिल रही सफलता इसे कम करने में मदद करेगी.
पपीते में क्या-क्या गुण पाए जाते हैं?
पपीता अपने उच्च पोषक तत्व और फाइबर सामग्री के लिए जाना जाता है. पपीता विटामिन से समृद्ध है. इसमें प्रो-विटामिन ए, सी, और फाइटो विटामिन के की मात्रा बहुतायत में होती है. इसके अलावा, इसमें फास्फोरस, मैग्नीशियम और बीटा जैसे अन्य पदार्थ भी होते हैं. पपीता पैपेन, काइमोपैपेन जैसे रसायनों/एंजाइमों से भी समृद्ध है. इस तरह के एंजाइम कच्चे और पके पपीते दोनों में मौजूद होते हैं.
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