जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भारत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऑपरेट करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए अब पैन (PAN) जरूरी होगा ताकि वे इक्वलाइजेशन लेवी दे सकें. सीबीडीटी के मुताबिक इसने इक्वलाइजेशन लेवी नियमों 2016 में संशोधन किया है. इस दायरे में उन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भी ले आया गया है, जिन्हें ये लेवी देना होता है.
क्या है इक्वलाइजेशन लेवी?
दरअसल सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में नॉन रेजिडेंट कॉमर्स ऑपरेटर की ओर से डिलीवरी की गई सर्विसेज पर दो फीसदी टैक्स लगाया था. इसे ही इक्वलाइजेशन लेवी कहते हैं. विभाग ने ई-कॉमर्स इक्वलाइजेशन लेवी का चालान नोटिफाई कर दिया है. लेवी जमा करने के लिए पैन और भारतीय बैंक में ई-कॉमर्स ऑपरेटर के बैंक खाता नंबर की जरूरत होगी.
राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा अंतिम चरण में
इस बीच, सरकार ने कहा है कि सरकार राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति और राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति का मसौदा तैयार करने के अंतिम चरण में है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने उन्होंने कहा कि सरकार ई-कॉमर्स और खुदरा उद्योगों को अपनी विभिन्न नीतियों के जरिये समर्थन देगी. फिक्की मासमेराइज-2020 के वर्चुअल सत्र को संबोधित करते हुए प्रकाश ने कहा, 'हम राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, नई औद्योगिक नीति, ई-कॉमर्स नीति और राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति का मसौदा तैयार करने के अंतिम चरण में हैं.' उन्होंने कहा कि ये नीतियां क्षेत्र के विकास के लिए तैयार की जा रही हैं और इनसे 6.5 करोड़ छोटे व्यापारियों को फायदा होगा. प्रकाश ने कहा कि इन प्रयासों तथा उद्योग के सहयोग से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय योगदान दिया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि व्यापार, ई-कॉमर्स तथा एफएमसीजी कंपनियों की भारत में मजबूत स्थिति है. देश में उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है जिससे क्षेत्र की प्रत्येक कंपनी के लिए यहां अवसर हैं.