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जैविक खेती: किसान खुद का स्टोर खोलकर खेत में उगाए उत्पादों की कर रहे बिक्री

Gulabi
7 Jan 2022 1:24 PM GMT
जैविक खेती: किसान खुद का स्टोर खोलकर खेत में उगाए उत्पादों की कर रहे बिक्री
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किसान खुद का स्टोर खोलकर खेत में उगाए उत्पादों की कर रहे बिक्री
खेती-किसानी में आपार संभावनाएं हैं. बस किसानों को लगन के साथ कुछ हटकर करने की जरूरत होती है. तमाम किसानों की सफलता की कहानियां समय-समय पर इस बात की गवाही देती रहती हैं. हाल के वर्षों में देश के किसानों (Farmers) ने पारंपरिक फसलों और पारंपरिक तरीकों की खेती को त्याग कर नए प्रयोग किए हैं और उन्हें सफलता मिली है. गुजरात (Gujarat) के कुछ किसानों ने भी प्रयोग के तौर पर जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत की थी. अब वे आत्मनिर्भर बन गए हैं. खुद के खेत में जैविक तरीके से उगाए गए उत्पादों की अपने ही स्टोर में बिक्री कर रहे हैं.
गुजरात के जूनागढ़ जिले के करीब 24 किसानों ने एक ग्रुप बनाकर जैविक खेती करनी शुरू की. धीरे-धीरे उनके उत्पादों की मांग बढ़ती गई तो उन्होंने सोचा कि क्यों न खुद ही इनकी बिक्री की जाए. इसी बात को ध्यान में रखकर किसानों के इस समूह ने अपना स्टोर खोल लिया. आज उनका सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपए तक पहुंच गया है.
30 लाख है सालाना टर्नओवर
जूनागढ़ शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित वडल गांव के हितेश डोमालिया ने पांच साल पहले जैविक खेती करनी शुरू की. शुरू में उन्होंने अलग-अलग सब्जियों की खेती की. जब पैदावार मिलने लगी तो डोमालिया ने शहर के पेशेवर और शिक्षाविदों को भजिया पार्टी के लिए आमंत्रित किया. इस दौरान उन्होंने अपने खेती के तौर तरीकों की जानकारी भी दी.
जैविक उत्पादों के प्रति उनका भी आकर्षण बढ़ा और भजिया पार्टी में आए लोगों ने डोमालिया से सब्जियां खरीदने की बात कही. इससे उत्साहित होकर उन्होंने अपना रकबा बढ़ा दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए डोमालिया कहते हैं कि करीब 25 किसान मेरे साथ आ गए. अब हम हर सीजन में 1500 किलो मूंगफली का तेल बेचते हैं. इसके साथ ही अनाज, आटा, तेल दूध और अन्य उत्पादों की बिक्री की जाती है. आज हमारा टर्नओवर 30 लाख तक पहुंच गया है.
होम डिलीवरी भी करते हैं किसान
अपने खेत में उगाए गए जैविक उत्पादों को खुद के स्टोर में बेचने का सबसे बड़ा फायदा इन किसानों को यह हुआ है कि बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है. किसान बताते हैं कि हमारे उत्पादों की कीमत सामान्य तौर पर ज्यादा है, क्योंकि हम इसे जैविक तरीके से उगाते हैं.
इस ग्रुप के एक किसान ने बताया कि अब हम होम डिलीवरी भी कर रहे हैं. पारंपरिक तौर पर उगाए गए फसलों से हमारे उत्पादों की कीमत भले ही ज्यादा है, लेकिन हमारे ग्राहक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं. वे पैसे देने में आनाकानी नहीं करते हैं. लोगों को यह विश्वास है कि हमारे पास जो सामान मिलेगा, वह मौलिक होगा.
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