उत्तर भारत में पपीता मार्च अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर में लगाते है. सितंबर महीना चल रहा है इसलिए अधिकांश किसान पपीता की नर्सरी डाल चुके होंगे या उन्हें तुरंत पपीता के बीज को नर्सरी में डाल देना चाहिए. नर्सरी एक ऐसा स्थान है जहां पौधे, जहां मुख्य भूखंडों में रोपने से पहले रोपे उगाए जाते हैं. बीज की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है जिसके आधार पर पपीते जैसी फलो के लिए पहले नर्सरी में पौधे उगाते है , फिर मुख्य भूखंड में प्रत्यारोपित करने की आवश्यकता होती है. आम तौर पर, बीज को नर्सरी में बोने के बाद महीन मिट्टी की एक परत के साथ कवर किया जाता है. सूरज से या पक्षियों या कृन्तकों द्वारा भी कभी कभी पौधे को खाया जाता है. डा. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा , समस्तीपुर, बिहार के प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसन्धान परियोजना एवं सह निदेशक अनुसन्धान प्रोफेसर (पादप रोग), डॉ एसके सिंह ने पपीते की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी दी है.