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Air India का संचालन फिर से टाटा समूह के हाथों में आएगा, जानिए
Bhumika Sahu
21 Sep 2021 6:44 AM GMT
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टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस नाम से इसकी शुरुआत की थी. वर्ष 1953 में सरकार ने एक एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस एयरलाइंस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Air India Disinvestment: घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश (Disinvestment) के लिए केंद्र सरकार ने फाइनेंशियल बिड्स मंगवाई थीं. इसमें मुख्य रूप से बजट एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमुख अजय सिंह और भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स में शामिल टाटा (TATA) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) ने बोलियां लगाई हैं. विनिवेश प्रकिया से जुड़े विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने पिछले दिनों फाइनेंशियल बिड्स मिलने के बारे में ट्वीट किया था. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया था कि कितनी और किन-किन कंपनियों ने बोलियां सौंपी हैं.
केंद्र सरकार ने इसी वित्तीय वर्ष में इस सरकारी एयरलाइन्स Air India का प्राइवेटाइजेशन या यूं कहिए कि विनिवेश का लक्ष्य रखा है. एयर इंडिया भी सरकार के विनिवेश के जरिये पैसे जुटाने के प्लान का हिस्सा है. अगर टाटा की बोली सफल होती है तो 67 वर्षों के बाद एयर इंडिया की टाटा समूह में वापसी होगी.
कभी एयर इंडिया टाटा ग्रुप्स का हिस्सा हुआ करती थी. बल्कि इसकी शुरुआत टाटा ग्रुप्स ने ही की थी. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
पायलट रहे जेआरडी टाटा ने की थी शुरुआत
Air India की शुरुआत 1932 में हुई थी. टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) की स्थापना की थी जिसे बाद में Air India का नाम दिया गया. दरअसल टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा खुद एक कुशल पायलट थे. उन्होंने ही टाटा एयरलाइंस नाम से इसकी शुरुआत की थी. Air India के संचालन के लिए जिन कंपनियों ने रुचि दिखाई है, उनमें Tata Group का नाम प्रमुख बताया जा रहा है. टाटा ग्रुप ने अपनी फाइनेंशियल बिड जमा कर दी है. अब अगर वह कामयाब होती है तो Air India की टाटा समूह में वापसी हो जाएगी.
कैसे प्राइवेट से सरकारी हो गई एयर इंडिया?
1947 में देश ब्रिटिश शासन से आजाद हो गया था. आजादी के बाद एक नेशनल एयरलाइंस की जरूरत महसूस की जा रही थी. तब केंद्र सरकार (Government of India) ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली. वर्ष 1953 में सरकार ने एक एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस एयरलाइंस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली. तब इसका नाम Air India रखकर इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बना दिया गया. इस तरह एयर इंडिया पूरी तरह से सरकारी कंपनी बन गई.
प्राइवेट हाथों में देने का विचार
Air India का संचालन प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने का विचार काफी पहले से रहा है. पहले भी इसके प्राइवेटाइजेशन की कोशिश की गई है. वर्ष 2000-2001 के दौरान इसका संचालन प्राइवेट कंपनी को दिए जाने का विचार किया गया था. तब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. लेकिन तब कई वजहों से बात नहीं बन पाई.
फिर वर्ष 2007 में जब एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय (Air India + Indian Airlines) कर दिया गया, तब से एयर इंडिया का बुरा दौर शुरू हो गया. वित्तीय वर्ष 2006-07 में दोनों कंपनियों का कुल घाटा करीब 7.7 अरब रुपये था, जो 2009 में बढ़कर 72 अरब रुपये तक जा पहुंचा.
बचाने की कोशिश नाकाम!
घाटे में चल रही एयर इंडिया को तब की यूपीए सरकार ने बेल आउट पैकेज देकर बचाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई. एयर इंडिया का बुरा दौर जारी रहा. फिर 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से एनडीए की सरकार बनी तो इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की इस एयरलाइन्स के उद्धार के लिए योजनाएं बनाई जानी लगी. वर्ष 2017 में सरकार ने इसके प्राइवेटाइजेशन की रूपरेखा तैयार की.
केंद्र सरकार ने मार्च 2018 में एयर इंडिया के लिए कंपनियों से EOI यानी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मंगवाए. हालांकि तब भी किसी ने इस ओर रुचि नहीं दिखाई और ये कोशिश भी लगभग नाकाम रही.
2021-22 के बजट में बनाया लक्ष्य
एयर इंडिया के विनिवेश की दिशा में कोरोना महामारी ने भी बड़ी रुकावट डाली. लेकिन 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की मंशा स्पष्ट की. अब इसी चालू वित्तीय वर्ष में इसके विनिवेश का लक्ष्य रखा गया है.
सरकारी स्वामित्व वाली इस एयरलाइन में केंद्र सरकार अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है. इसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एअर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं.
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