व्यापार
ओमिक्रॉन अब और बढ़ाएगा खर्च, रोटी कपड़ा और मकान…सबकुछ हुआ महंगा
Bhumika Sahu
23 Dec 2021 4:35 AM GMT
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खबर तो ये है कि अधिकांश भारतीयों का मानना है कि घरेलू खर्च अगले तीन महीनों में और बढ़ेगा. इसकी वजह कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का बढ़ता खतरा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लगभग 60 फीसदी शहरी भारतीय पिछले छह माह से महंगाई की आग में जल रहे हैं. एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक जरूरी वस्तुओं और सेवाओं जैसे ट्रांसपोर्टेशन, हाउसिंग, फूड और ड्रिंक, यूटिलिटीज, कपड़े-जूते, मेडिकल व हेल्थकेयर और मनोरंजन की उच्च लागत से दुनियाभर के लोग परेशान हैं.
खबर तो ये है कि अधिकांश भारतीयों का मानना है कि घरेलू खर्च अगले तीन महीनों में और बढ़ेगा. इसकी वजह कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का बढ़ता खतरा है.
मार्केट रिसर्च फर्म Ipsos के CEO अमित अदारकर का कहना है कि महंगाई को और बढ़ने से रोकने के लिए ओमीक्रॉन पर नियंत्रण और कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बचना ही पहला लक्ष्य होना चाहिए.
डराती है महंगाई
Ipsos के सर्वे के मुताबिक 10 में से 6 शहरी भारतीयों का कहना है कि वह छह माह पहले की तुलना में जरूरी चीजों के लिए ज्यादा पैसे दे रहे हैं. Ipsos ने 19 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच 30 देशों में 20 हजार 504 वयस्कों के बीच यह सर्वे किया था.
भारत में खाने के तेल से लेकर कारों तक हर चीज की कीमत बढ़ रही है, क्योंकि कंपनियां कच्चे माल की महंगाई का सामना कर रही हैं, जो एक दशक की ऊंचाई पर है.
महामारी ने जीवन जीना महंगा कर दिया है. और उपभोक्ता जरूरी चीजों के लिए ज्यादा कीमत चुका रहे हैं. ईंधन के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ी है, जिससे आवश्यक वस्तुओं के दाम पर इसका असर पड़ा है.
63 फीसदी शहरी भारतीयों का मानना है कि उनका खर्च परिवहन पर बढ़ गया है. इसमें पेट्रोल, कार भुगतान और रखरखाव, पार्किंग एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट शामिल है.
शहरों में रहने वाले 60 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि उनका फूड और ग्रॉसरी पर खर्च छह माह पहले की तुलना में ज्यादा हो गया है.
60 फीसदी शहरी भारतीयों का मानना है कि छह महीने पहले की तुलना में बिजली, गैस, पानी, फोन और इंटरनेट का खर्च भी बढ़ गया है.
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