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अगर आप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी राहत की उम्मीद कर रहे हैं तो ये खबर आपको नया टेंशन दे सकती है
अगर आप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी राहत की उम्मीद कर रहे हैं तो ये खबर आपको नया टेंशन दे सकती है, दरअसल दिग्गज ब्रोकरेज कंपनी Goldman Sachs ने आशंका जताई है कि कच्चे तेल में उछाल अभी और तेज होगा और अगले 2 साल में क्रूड की मांग नया रिकॉर्ड स्तर छू सकती है.
100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर सकता है क्रूड
ब्रोकरेज हाउस का अनुमान है कि आने वाले समय में कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी और कीमतें मौजूद स्तर से ऊपर की तरफ बढ़ेंगी. ब्रोकरेज हाउस के मुताबिक 2022 और 2023 में कच्चे तेल की मांग अपने नये रिकॉर्ड स्तर को छू सकती हैं. संभावना है कि इसी वजह से कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर सकता है. एक मीडिया हाउस को दिये इंटरव्यू में ब्रोकरेज हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अर्थव्यवस्थाएं अभी रिकवरी करना शुरू कर रही हैं और अभी एविएशन सेक्टर से मांग आना बाकी है लेकिन इससे पहले ही मौजूदा मांग भी अभी से ही ऊंचे स्तरों पर है. इससे संकेत मिलते हैं कि आने वाले समय में मांग और सप्लाई में अंतर देखने को मिलेगा और कीमतों में तेज उछाल आ सकता है.
तेल की कीमतो में उतार-चढ़ाव का दौर
हाल ही में मांग में उछाल की वजह से ब्रेंट और डब्लूटीआई क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गये थे. हालांकि ओमीक्रॉन का असर बढ़ने की आशंका के साथ कीमतें क्रैश होकर 70 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गयीं. फिलहाल बाजार की नजर ओमीक्रॉन को लेकर नये संकेतों पर है. दुनिया भर में इसके मामले बढ़ रहे हैं लेकिन ये डेल्टा के मुकाबले ज्यादा गंभीर असर नहीं कर रहा है. इससे संकेत थोड़ा बेहतर हुए हैं. कमोडिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले समय में मांग का बढ़ना तय है ऐसे में सप्लाई मांग के मुकाबले नीचे आ सकती है और कीमतों पर दबाव पड़ सकता है.
क्या होगा घरेलू उपभोक्ताओं पर असर
भारत में तेल की जरूरत का अधिकांश हिस्सा आयात किया जाता है. वहीं इसकी रिटेल कीमतें विदेशी बाजारों में कीमत और भारत में उस पर लगने वाले शुल्क की वजह से तय होती है. अगर विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है तो घरेलू उपभोक्ताओं के लिये मुश्किलें बढ़ जायेंगी. हालांकि अर्थव्यवस्था में सुधार सरकार की आय में बढ़त के साथ आने वाले समय में इस बात की संभावना बन रही है कि सरकार टैक्स को नियंत्रित कर उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले दबाव को सीमित करे.जैसा कि नवंबर के शुरुआत में किया गया था.. हालांकि कच्चा तेल बढ़ा तो कीमतों में कटौती की संभावनायें घट जायेंगी.
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