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अब इतने रूपये बढ़ सकती है सीमेंट की कीमत

Gulabi
2 Dec 2021 2:02 PM GMT
अब इतने रूपये बढ़ सकती है सीमेंट की कीमत
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ऊर्जा और तेल की कीमतें भी बढ़ने की उम्मीद
सीमेंट की रिटेल कीमतों में अगले कुछ महीनों में 15 से 20 रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. इस वित्त वर्ष में यह करीब 400 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू सकती है. यह बात रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को एक सेक्टर नोट में कही है. कीमत में बढ़ोतरी की वजह रिपोर्ट में इनपुट कमोडिटी की लागत दबाव जैसे कोयला और डीजल के साथ बढ़ती डिमांड को बताया गया है.
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी के बीच सीमेंट कंपनियों का अर्निंग बिफॉर इंट्रस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोर्टाइजेशन (EBITA) इस वित्त वर्ष में 100-150 रुपये प्रति टन गिर सकता है, जिसकी वजह बढ़ती इनपुट की लागत है.
ऊर्जा और तेल की कीमतें भी बढ़ने की उम्मीद
आयातित कोयले (पहले भाग में सालाना आधार पर 120 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी) और पेटकोक (80 फीसदी का उछाल) की कीमतों में हाल ही की तेजी से इस वित्त वर्ष में ऊर्जा और तेल की कीमतें 350-400 रुपये प्रति टन बढ़ने की उम्मीद है. नोट में कहा गया है कि कीमतों में महंगाई का बड़ा हिस्सा अभी आना है.
सीमेंट सेल की वॉल्यूम में इस वित्त वर्ष में 11 से 13 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जो कम बेस पर है. इससे बड़े तौर पर कीमतों के दबाव के असर से निपटा जा सकेगा और क्रेडिट प्रोफाइल को स्टेबल रखा जा सकेगा. एजेंसी ने इसमें 17 सीमेंट कंपनियों का विश्लेषण किया है, जिनकी भारत में 75 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी है.
सीमेंट वॉल्यूम में ग्रोख अलग-अलग सेगमेंट में बेहतर डिमांड की वजह से होगी, जिनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, हाउसिंग और इंडस्ट्रीयल शामिल हैं. कोविड-19 का असर कम होना भी इसके पीछे वजह है.
सीमेंट की डिमांड में मजबूत ग्रोथ
सीमेंट की डिमांड में इस वित्त वर्ष के पहले भाग में 20 फीसदी से ज्यादा की मजबूत ग्रोथ देखी गई है. लेकिन दूसरे भाग में इसके घटकर 3 से 5 फीसदी तक आने की संभावना है. इसके पीछे मुख्य वजह ज्यादा बेस इफैक्ट है, जो इस वित्त वर्ष में 11 से 13 फीसदी की ग्रोथ दिखाता है.
आपको बता दें कि रियल एस्टेट बिल्डरों के निकाय कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) ने हाल ही में सीमेंट और स्टील सहित कच्चे माल की कीमत में निरंतर बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की थी. क्रेडाई ने कहा था कि निर्माण की बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए घर की कीमतों में 10-15 फीसदी तक बढ़ सकती हैं. इसने मांग की थी कि सरकार को कच्चे माल की कीमतों को नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए और इस उद्देश्य के लिए जीएसटी (GST) में कमी का सुझाव दिया था.
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