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अब रिकॉल पर कंपनियों को देनी होगी नई गाड़ी, नियम ना मानने पर लगेगा एक करोड़ का जुर्माना, जानें पूरी जानकारी

Gulabi
17 March 2021 8:07 AM GMT
अब रिकॉल पर कंपनियों को देनी होगी नई गाड़ी, नियम ना मानने पर लगेगा एक करोड़ का जुर्माना, जानें पूरी जानकारी
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अप्रैल के महीने से अगर सरकार रिकॉल ऑर्डर को पास करती है तो ऑटो मैन्युफैक्चरर और आयातक को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है

अप्रैल के महीने से अगर सरकार रिकॉल ऑर्डर को पास करती है तो ऑटो मैन्युफैक्चरर और आयातक को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. ये जुर्माना 10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक हो सकता है. यानी की अगर कोई कार निर्माता कंपनी आपको गाड़ी बेचती है और उसमें खराबी पाई जाती है तो इन कंपनियों को सरकार के आदेश के बाद भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. अब तक ऑटो कंपनियां अपने मन मुताबिक रिकॉल का ऑर्डर लेती थीं लेकिन इस प्रस्ताव के बाद अब सरकार जब चाहेगी तब किसी भी ऑटो कंपनी को रिकॉल के ऑर्डर दे सकती है.

सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के तहत गाड़ियों की टेस्टिंग का नियम है जिसे ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने नोटिफाई किया है. ऐसे में इसके बाद अगर रिकॉल के दौरान कोई भी ऑटो कंपनी इसमें फेल होती है तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. नए नियम उन गाड़ियों के लिए लागू होंगे जो 7 साल पुरानी होंगी. इस दौरान अगर उन गाड़ियों में मंत्रालय कोई गड़बड़ी पकड़ता है तो उन्हें जुर्माना देना होगा. इसमें व्हीकल, उसका कॉम्पोनेंट, सॉफ्टवेयर और वो चीजें शामिल होंगी जिससे वातावरण को खतरा हो सकता है.
इन रिकॉल्स में 6 लाख टू व्हीलर्स गाड़ियां और 1 लाख से ज्यादा फोर व्हीलर्स गाड़ियां शामिल होंगी जिनपर 1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं लिस्ट में उन गाड़ियों का भी नाम शामिल है जो 9 पैसेंजर्स को बिठाती हैं या फिर जो हेवी गुड्स को को लेकर ट्रैवल करती हैं. ऐसे में इनपर भी 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.
सरकार ऐसे लेगी रिकॉल पर फैसला
सरकार यहां जल्द ही रिकॉल को लेकर नोटिफिकेशन दे सकती है. उदाहरण के तौर पर कार या फिर SUV के मामले में अगर किसी कंपनी का एनुअल सेल 500 यूनिट्स का है और ग्राहकों की तरफ से 100 शिकायतें मिलती हैं तो जाहिर सी बात है कंपनी के 20 प्रतिशत बेचे गए यूनिट्स में गड़बड़ी है. ऐसे में सरकार के लिए ये एक रिकॉल प्रोसेस होगा.
वहीं कार और SUVs के मामले में अगर रजिस्टर सेल 501 से लेकर 10,000 यूनिट्स के बीच होती है तो यहां शिकायतों का आंकड़ा 1050 होना चाहिए. ये आंकड़ा सालाना 10,000 यूनिट्स के सेल्स पर लागू होगा. वहीं किसी भी कंपनी की गाड़ियों को तभी रिकॉल किया जाएगा जब शिकायतें 1250 के आंकड़े को पार कर जाएंगी. कुछ ही फॉर्मूला टू व्हीलर और थ्री व्हीलर गाड़ियों के लिए भी होंगी.
कार, SUVs और बाइक्स के अलावा उन बड़ी गाड़ियों को भी शामिल किया जाएगा जिसमें पैसेंजर गाड़ियां, बस और ट्रक शामिल हैं. ऐसे में इनके लिए अलग नियम होंगे. यानी की अगर किसी कंपनी के सालाना सेल्स में से 3 प्रतिशत सिर्फ शिकायतें होती है तो सरकार यहां रिकॉल का प्रोसेस शुरू कर देगी.

बता दें कि, सरकार यहां जल्द ही गाड़ी मालिकों के लिए एक पोर्टल सेटअप करने जा रही है जहां वो अपनी शिकायतों को रजिस्टर कर सकते हैं. इन शिकायतों की मदद से हर ऑटो कंपनी को नोटिस भेजा जाएगा जहां उन्हें 30 दिनों के भीतर इसका जवाब देना होगा. जवाब मिलने के बाद एजेंसी इसकी जांच करेगी कि क्या कंपनी के खिलाफ की गई शिकायत जायज है और क्या हमें इनकी गाड़ियों को रिकॉल करना चाहिए.


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