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दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच आरबीआई रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं करेगा. लेकिन बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि, रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में कुछ बढ़ोतरी जरूर कर सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दर यानी रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं करेगा. यह अभी 4 फीसदी के स्तर पर है, लेकिन खबर तो यह है कि बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि, रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में कुछ बढ़ोतरी जरूर कर सकता है, जो वर्तमान में 3.35 प्रतिशत है.
दरअसल, रेपो रेट वह ब्याज दर (interest rate)होता है, जिसके तहत रिजर्व बैंक, दूसरे बैंकों को लोन देता है. इतना ही नहीं, रेपो रेट का इस्तेमाल रिजर्व बैंक बढ़ रही महंगाई को काबू में करने के लिए करता है. वहीं, जब भी रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है, उस स्थिति में बैंकों की ओर से लोगों को जारी होने वाले लोन की ब्याज दर भी बढ़ा दी जाती है.
बदलाव के असर को ऐसे समझें
इस बदलाव के असर को आप ऐसे समझ सकते हैं कि भले ही भारतीय रिजर्व बैंक कर्ज को सस्ता बनाए रखे, लेकिन वो इस कर्ज के रास्ते को मुश्किल भरा जरूर बना सकता है. दरअसल रिवर्स रेपो बढ़ने पर बैंक अपना अतिरिक्त पैसा आरबीआई के पास जमा कर देते हैं और इस तरह सस्ते कर्ज का रास्ता आम उपभोक्ताओं के लिए और मुश्किल भरा हो जाता है.
8 को होगी दरों में बदलाव की घोषणा
दरअसल रिवर्स रेपो रेट ज्यादा होने से बाजार में तरलता कम होती है और कर्ज बांटने के लिए बाजार में कम पैसा उपलब्ध होता है. ऐसे में बाजार से तरलता कम करने के लिए रिजर्व बैंक इस इंस्ट्रूमेंट यानी विकल्प का चुनाव करते हैं. आपको बता दें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आज से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी यानी एमपीसी की बैठक शुरू हुई है, जबकि दरों में बदलाव की घोषणा 8 तारीख को होगी.
रिवर्स रेपो रेट क्या है?
जैसे रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को कर्ज देता है, वहीं दूसरी तरफ रिवर्स रेपो वह दर है जिस पर आरबीआई बैकों को जमा पर ब्याज देता है. यानी की रिवर्स रेपो रेट का इस्तेमाल रिजर्व बैंक, अर्थव्यवस्था में पैसे की उपलब्धता को कंट्रोल में करने के लिए करता है.
बढ़ती महंगाई को लेकर होगा ये फैसला!
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई बढ़ती महंगाई को देखते हुए रिवर्स रेपो रेट में कुछ वृद्धि करने जैसा कदम उठा सकता है. अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर बढकर 4.48 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो इससे पहले सितंबर में 4.35 प्रतिशत थी.
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