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अब भारत-पाक बॉर्डर पर रहने वाले किसान कर सकेंगे खेती, BSF ने दी अनुमति

Gulabi
4 July 2021 6:49 AM GMT
अब भारत-पाक बॉर्डर पर रहने वाले किसान कर सकेंगे खेती, BSF ने दी अनुमति
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भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अब पंजाब की तर्ज पर राजस्थान के किसान भी खेती कर सकेंगे

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अब पंजाब की तर्ज पर राजस्थान के किसान भी खेती कर सकेंगे. सीमा सुरक्षा बल ने खेती के इजाजत देने की बात कही है. कुछ दिन पहले ही बाड़मेर सेक्टर के डीआईजी ने चौहटन के सरला इलाके में किसानों के साथ बातचीत की थी. सीमा सुरक्षा बल ने खेती के लिए खोले जाने वाले बॉर्डर पर नए गेट लगवाए हैं. 28 साल बाद यहां के किसान अपने खेतों पर फिर से खेती कर सकेंगे.

आपको बता दें कि ऐसे कई किसान हैं जिनकी 80 फ़ीसदी जमीन तारबंदी और जीरो पॉइंट के बीच है. ना तो इन किसानों को 28 साल बीत जाने के बाद मुआवजा ही मिला है और ना ही इन्हें खेती करने दी जा रही है इसी को लेकर किसान लगातार मांग कर रहे थे.
साल 2013 में हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा था कि या तो मुआवजा दिया जाए और या खेती करने दी जाए. अब जाकर किसानों को खेती करने का अधिकार सीमा सुरक्षा बल ने दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार 1992 में इस तरीके से प्रभावित किसानों की संख्या 1959 करीब थी,लेकिन अब प्रभावित किसानों की संख्या 10 हजार के आसपास हो गई है. बॉर्डर पर रामसर सेड़वा चौहटन गडरा इलाके के किसान प्रभावित हैं. जिन किसानों के खेत तारबंदी और जीरो फेंसिंग के पास है उन किसानों को पास बनाने के लिए अपनी जमाबंदी और आईडी कार्ड सीमा चौकियों में जमा करवाने पड़ेंगे. उसके बाद बीएसएफ की ओर से उनका फोटो युक्त आईडी कार्ड बनाया जाएगा.
और अंत में BSF ने मान ली मांग
बाड़मेर सेक्टर डीआईजी विनीत कुमार ने बताया था, ''जीरो पॉइंट पर किसान लगातार मांग कर रहे थे. मैंने किसानों के साथ बैठक करके यह फैसला किया है कि किसान अब जीरो पॉइंट पर अपनी खेती कर सकेंगे.''
समय से जाना होगा, समय से आना होगा
खेती के लिए किसानों को सुबह 9:00 बजे एंट्री दी जाएगी और उसके बाद शाम 5:00 बजे कड़ी चेकिंग के साथ वापसी होगी. किसान 8 घंटे तक अपने खेत में खेती कर सकेंगे, महिलाओं को भी खेती के लिए जाने की छूट है और इसके लिए सीमा सुरक्षा बल अलग से ब्लू पीस पर रूम तैयार करवा रही है.
1992 में की गई थी तारबंदी
राजस्थान से लगती भारत-पाक सीमा पर साल 1992 में सीमा सुरक्षा बल की ओर से तारबंदी कर दी गई थी. जिसके बाद किसान लगातार यह मांग कर रहे थे कि उन्हें अपनी जमीन पर खेती करने दी जाए, 28 साल बाद अब सीमा सुरक्षा बल ने उन्हें खेती करने की छूट दी है. किसान रुपाराम के पास 1992 में 50 बीघा जमीन थी. लेकिन तारबंदी और जीरो पॉइंट के कारण वे वर्तमान में मात्र 7 बीघा जमीन पर ही खेती कर पा रहे हैं. लेकिन सीमा सुरक्षा बल की ओर से जो छूट दी गई है उसके अनुसार वे अब 27 बीघा जमीन पर खेती शुरू कर सकेंगे
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