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सरकारी बैंकों में FDI की लिमिट बढ़ाने का हो सकता है ऐलान
FDI limit in PSB: सरकार ने बजट 2021 में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था, लेकिन कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो पाया. बजट 2022 का तैयारी जोरों पर है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बजट में पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण में तेजी लाने के लिए सरकार FDI की लिमिट बढ़ा सकती है. सरकारी बैंकों के लिए अभी विदेशी निवेश की लिमिट महज 20 फीसदी है. संभव है कि 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी, इस लिमिट को बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया जाए.
FDI की लिमिट को बढ़ाने के लिए बैंकिंग कंपनीज एक्ट में बदलाव की जरूरत होगी. यह संभव है कि FDI की यह लिमिट केवल उन बैंकों पर लागू हो जिनका निजीकरण किया जाएगा. अभी देश में पब्लिक सेक्टर के 12 बैंक हैं. इन बैंकों में विदेशी निवेश की मैक्सिमम लिमिट 20 फीसदी है, जबकि प्राइवेट बैंकों में विदेशी निवेश की लिमिट 74 फीसदी है. ऐसे में विदेशी निवेशकों को लुभाने और विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार FDI संबंधी नियमों में बदलाव कर सकती है.
अलग-अलग विभागों से चर्चा हो चुकी है
माना जा रहा है कि बैंकिंग सेक्टर में एफडीआई की लिमिट बढ़ाने को लेकर वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विभाग जैसे डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS), डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (DEA) और अन्य संबंध विभागों के चर्चा हो चुकी है. प्रस्ताव अपने अंतिम चरण में है जिसे बजट में पेश किया जा सकता है.
निजीकरण को लेकर इन दो बैंकों का नाम आगे
FDI लिमिट में बदलाव सरकार की मजबूरी इसलिए है, क्योंकि पिछले बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया गया था. ऐसे में 20 फीसदी के विदेशी लिमिट से बड़े निवेशक आकर्षित नहीं होंगे. ऐसे में यह लिमिट 74 फीसदी कर देने से बड़े निवेशक आकर्षित होंगे और सरकार को भी उचित कीमत मिलेगी. वैसे किन दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, इसके संबंध में अभी तक विशेष जानकारी नहीं है, लेकिन इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम आगे चल रहा है.
इस बजट में भी निजीकरण पर रहेगा जोर
इस बजट में भी सरकार का निजीकरण पर जोर रहेगा, साथ ही सरकार के एजेंडे में IDBI बैंक का रणनीतिक विनिवेश शामिल होगा. मोदी सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए 4R के कॉन्सेप्ट पर तेजी से काम किया है. इसमें रिकॉग्निशन, रिजॉल्यूशन, री-कैपिटलाइजेशन और रिफॉर्म्स शामिल हैं. इन चार उपायों के कारण नॉन परफॉर्मिंग असेंट्स यानी NPA में बड़ा सुधार हुआ है और 31 मार्च 2021 को एनपीए घटकर 8 लाख 35 हजार 51 करोड़ रुपए पर पहुंच गया.
सरकारी बैंकों का प्रदर्शन शानदार
सरकारी बैंकों के प्रदर्शन पर गौर करें तो चालू वित्त वर्ष (2021-22) की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून तिमाही में पब्लिक सेक्टर बैंकों का नेट प्रॉफिट 14012 करोड़ रुपए था. जुलाई-सितंबर तिमाही में यह बढ़कर 17132 करोड़ रुपए हो गया. इस तरह सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल 31114 करोड़ की नेट कमाई की. वित्त वर्ष 2020-21 में पब्लिक सेक्टर बैंकों की कुल कमाई 31820 करोड़ रुपए थी.
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