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नई दिल्ली। आम आदमी के लिए राहत की खबर है. विदेशी बाजारों में गिरावट आने के बाद तेल की कीमतें भी कम हो गई हैं, यानी खाद्य तेल (Edible Oil) पहले की तुलना में अब सस्ता (Edible oil price down) हो गया है. दिल्ली के तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और पामोलीन कांडला तेल कीमतों (Edible Oil Price) में गिरावट रही है, जबकि स्थानीय मांग बढ़ने और डीओसी की निर्यात मांग के कारण सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए.
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मार्च, अप्रैल और मई के दौरान आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने की वजह से सरसों की खपत बढ़ी है. सरसों से रिफाइंड बनाए जाने के कारण भी सरसों की कमी हुई. खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा आठ जून से सरसों में किसी अन्य तेल की मिलावट पर रोक लगाये जाने से भी उपभोक्ताओं में शुद्ध सरसों तेल के लिए मांग बढ़ी है.
सरसों की मांग के मुकाबले बाजार में आवक कम है और किसान रोक-रोककर माल ला रहे हैं. इन परिस्थितियों में बीते सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया. सूत्रों ने कहा कि मौजूदा सत्र में सरसों किसानों को जो दाम मिले हैं उससे सरसों की आगामी फसल जोरदार होने की उम्मीद की जा रही है और विशेषज्ञों का मानना है कि किसान गेहूं की जगह सरसों की अधिक बुवाई कर सकते हैं.
सूत्रों ने कहा कि सरकार को अभी से ही सरसों के बीज का इंतजाम कर लेना चाहिये क्योंकि अभी बाजार में फसल उपलब्ध है और कहीं ऐसा न हो कि ऐन बिजाई के मौके पर सरसों की संभावित बम्पर पैदावार की राह में बीज की कमी कोई रोड़ा बने. सरसों की मौजूदा खपत का स्तर लगभग 70-75 प्रतिशत ही है लेकिन अगले 10-15 दिनों में खपत का स्तर बढ़कर 100 प्रतिशत होगा और मंडियों में आवक की कमी की स्थिति को देखते हुए सरसों बीज का अभी से इंतजाम कर लेना बेहतर कदम साबित होगा.