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भारत में पिछले कुछ समय से बिजनेस और इकॉनमी पर सरकार का पहरा काफी कड़ा हो गया है. जब से बिजनेस को सरकार की प्राथमिकता प्राप्त हुई है तभी से सरकारी एजेंसियों द्वारा बिजनेसमैन और कंपनियों पर नियम और कानूनों के उल्लंघन को लेकर पहरा काफी ज्यादा बढ़ गया है. 2021 में Pandora Paper लीक का मामला सामने आया था.
क्या था Pandora Paper लीक का मामला?
Pandora Paper लीक मामले में 2.9TB के डाटा में मौजूद 11.9 मिलियन कागजात लीक किए गए थे. ये कागजात ICIJ (International Consortium of Investigative Journalists) के द्वारा लीक किए गए थे. इस लीक से दुनिया के 35 ग्लोबल लीडर्स के गुप्त ‘ऑफशोर अकाउंट्स’ के बारे में जानकारी प्राप्त हुई थी. इन ग्लोबल लीडर्स में कई देशों के पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्य के प्रमुख भी शामिल थे. अब Pandora Paper लीक के माध्यम से ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने एक काफी बड़ा और सख्त कदम उठाया है.
ED ने जब्त की 30 करोड़ की संपत्ति
हाल ही में जानकारी देते हुए ED ने बताया था कि उसने 30.60 करोड़ की कीमत की संपत्ति जब्त कर ली है. यह संपत्ति स्वरुप भाइयों की है और इनका नाम भी Pandora Paper लीक में सामने आया था. विक्रम स्वरुप और गौरव स्वरुप पर फॉरेन एक्सचेंज के नियमों का पालन न करने का आरोप है. ED द्वारा यह संपत्ति FEMA 1999 (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) के तहत जब्त की गई है. Pandora Paper लीक में यह बात सामने आई थी कि विक्रम और गौरव, Epilson Enterprises नामक एक कंपनी के मालिक थे जो British Virgin Island में स्थित है.
FEMA के तहत हुई जांच
FEMA 1999 के तहत जांच शुरू की गई और जांच में पता चला कि स्वरुप भाइयों के पास ‘फॉरेन एक्सचेंज’ के रूप में एसेट मौजूद थे और यह एसेट, जर्सी के स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक और Bank J. में मौजूद थे. यह जांच 14 विदेशी सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा प्रदान किए गए गुप्त कागजातों के आधार पर की गई थी. आपको बता दें कि ये 14 विदेशी सर्विस प्रोवाइडर्स, अमीर लोगों और बड़ी-बड़ी कंपनियों को जाली कंपनी बनाने, फाउंडेशन बनाने और टैक्स से बचने के लिए प्रोफेशनल रूप से सुविधाएं प्रदान करते हैं.
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