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मोदी सरकार लेकर आई 75000 नौकरियां जाने कौन लोग ले सकते हैं इसका लाभ

Harrison
31 Aug 2023 11:03 AM GMT
मोदी सरकार लेकर आई 75000 नौकरियां जाने कौन लोग ले सकते हैं इसका लाभ
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केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अहम जानकारी देते हुए कहा है कि हार्डवेयर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) के तहत आने वाले दिनों में 75000 नौकरियां पैदा होने वाली हैं। उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अब तक 40 आवेदन मिल चुके हैं. एप्लिकेशन विंडो बुधवार को बंद हो गई है. अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' विजन में आपकी प्रतिबद्धता और विश्वास के लिए आईटी हार्डवेयर उद्योग को बहुत धन्यवाद।
कंपनियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया
अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि इस पीएलआई योजना से 4.7 लाख करोड़ रुपये का वृद्धिशील उत्पादन होने की उम्मीद है. साथ ही 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का इंक्रीमेंटल निवेश आने की संभावना है. इस योजना से 75 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकता है. इससे पहले अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई स्कीम को कंपनियों से जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है. इसके लिए उम्मीद से कहीं अधिक संख्या में कंपनियों ने आवेदन किया है। वैष्णव ने कहा कि आवेदन करने वाली कंपनियों में फॉक्सकॉन, एचपी, डेल और लेनोवो जैसी वैश्विक कंपनियों के अलावा फ्लेक्सट्रॉनिक्स, डिक्सन, एसर, थॉम्पसन, वीवीडीएन भी शामिल हैं।
क्यों जरूरी है यह योजना?
आईटी हार्डवेयर सेक्टर के लिए लाई गई पीएलआई योजना के जरिए लैपटॉप, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर और टैबलेट जैसे उपकरणों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने का प्रयास है। इस योजना के तहत चयनित कंपनियों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि मिलेगी। यह योजना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि सरकार ने 1 नवंबर से लैपटॉप और टैबलेट जैसे आईटी उपकरणों के आयात पर कई प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अब इन उत्पादों का सीधे आयात नहीं किया जाएगा और इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी होगा। .
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में 17 फीसदी की ग्रोथ
वैष्णव ने कहा कि भारत एक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला भागीदार और मूल्य वर्धित भागीदार के रूप में उभर रहा है। कंपनियां विनिर्माण और डिजाइन के लिए भारत आकर खुश हैं। पिछले आठ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का विनिर्माण 17 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। इस साल यह 105 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया।
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